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बुधवार, 24 अगस्त 2011

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From: <919984708227@mms1.live.vodafone.in>
Date: 2011/7/23
Subject:
To: horisardarpatel@gmail.com


संविधान तो ऊपर चाह रहा,
निचले,पिछड़ो को लाना ।
फिर समाज की सेवा मेँ,
क्योँ?पड़ता शरमाना ।
प्रेम संग एकजुट होने का,
संविधान भी दे अधिकार।
हम कुर्मी हैँ छिपा रहे,
कैसा घृणित विचार ?
टाँग खींचना कर्तव्य हमारा,
ईर्ष्या,द्वेष हैँ करते ।
संघे शक्ति को भूल चुके,
आपस मेँ हैँ लड़ते ।
कवि,लेखक हम बने नही,
गुजरा बहुत जमाना ।
इतिहास हमारा लुप्तप्राय
पड़ा बहुत पछताना ।
ऊँच,नींच का भेद मिटाकर ,
कुल,वंश तो भूल ही जायेँ
आपस मेँ एकजुट हो सब,
रोटी के सम्बन्ध बनायेँ ।
फिर देखोगे अद्भुत ही,
विश्वास भी ना कर पाओगे ।
चहुँ ओर तुम्हारा मान बढ़ेगा ,
मर नाम अमर कर जाओगे ।।

सत्येन्द्र पटेल  फते॰
bpv2007ssp@gmail.com



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