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गुरुवार, 31 मार्च 2016

कृषि को उद्योग का दर्जा

बदलता भारत
की माँग
4 /कृषि को उद्योग का दर्जा
----------------------
      कृषि के समस्त कार्य एक उद्योग की तरह हैं । लगातार पूंजी निवेश , स्रम , उत्पादन आदि समस्त क्रियायें उद्योगों की भाँति होती हैं । समर्थन मूल्य भी मज़बूरी मे ही सही सरकारों द्वारा जारी किये जाते हैं । कृषक और कृषि असंगठित क्षेत्र हैं इस लिये उद्योंगों की तरह अपने मूल्य का निर्धारण नहीं कर पाता है । लागतें बढ़ती जाती हैं जिससे शुद्ध आय कम हो जाती है । कीमतों का निर्धारण आय और व्यय के आधार पर किया जाता है परन्तु कृषि में ऐसा नहीं हो रहा है । यहाँ किसान फ़सलें बो तो सकता है पर उनकी कीमत उद्योंगो की तरह स्वयं निर्धारित नहीं कर सकता ।
                    कृषि के अंतर्गत लागत अधिक और आय कम होने के कारण किसानों का जीवनयापन तक कठिन है । देश भर  में किसानों के द्वारा आत्महत्या की घटनायें भी प्रकाश में आती रहती हैं । कृषि को लाभकारी बनाना किसानों के लिये तो ज़रूरी है ही समस्त देश के विकास और अनाज उपलब्धता के लिये भी आवश्यक ही नहीं अपितु अनिवार्य भी है ।
            एक उद्योग की तरह बैंकों से लोन भी स्वीकृत नहीं हो सकता ।कृषि को स्वयं बैंक घाटे का क्षेत्र मानता है। परन्तु दोनों स्थितियों से किसान को मुक्ति मिल सकती है यदि कृषि को उद्योग का दर्जा दे दिया जाय ।
                 राज कुमार सचान होरी
                राष्ट्रीय अध्यक्ष
                 बदलता भारत(INDIA CHANGES )
www.horiindiachanges.blogspot.com, www.horiindianfarmers.blogspot.com
www.indianfarmingtragedy.blogspot.com

         

बदलता भारत की माँग

बदलता भारत 

की माँग 

4 /कृषि को उद्योग का दर्जा 

----------------------

      कृषि के समस्त कार्य एक उद्योग की तरह हैं लगातार पूंजी निवेश , स्रम , उत्पादन आदि समस्त क्रियायें उद्योगों की भाँति होती हैं समर्थन मूल्य भी मज़बूरी मे ही सही सरकारों द्वारा जारी किये जाते हैं कृषक और कृषि असंगठित क्षेत्र हैं इस लिये उद्योंगों की तरह अपने मूल्य का निर्धारण नहीं कर पाता है लागतें बढ़ती जाती हैं जिससे शुद्ध आय कम हो जाती है कीमतों का निर्धारण आय और व्यय के आधार पर किया जाता है परन्तु कृषि में ऐसा नहीं हो रहा है यहाँ किसान फ़सलें बो तो सकता है पर उनकी कीमत उद्योंगो की तरह स्वयं निर्धारित नहीं कर सकता  

                    कृषि के अंतर्गत लागत अधिक और आय कम होने के कारण किसानों का जीवनयापन तक कठिन है देश भर  में किसानों के द्वारा आत्महत्या की घटनायें भी प्रकाश में आती रहती हैं कृषि को लाभकारी बनाना किसानों के लिये तो ज़रूरी है ही समस्त देश के विकास और अनाज उपलब्धता के लिये भी आवश्यक ही नहीं अपितु अनिवार्य भी है

            एक उद्योग की तरह बैंकों से लोन भी स्वीकृत नहीं हो सकता कृषि को स्वयं बैंक घाटे का क्षेत्र मानता है। परन्तु दोनों स्थितियों से किसान को मुक्ति मिल सकती है यदि कृषि को उद्योग का दर्जा दे दिया जाय

                 राज कुमार सचान होरी 

                राष्ट्रीय अध्यक्ष

                 बदलता भारत(INDIA CHANGES )

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बुधवार, 30 मार्च 2016

होरी कहिन३० मार्च

होरी कहिन
---------
१--
प्रेम विवाह उधर बढे , बढ़ते इधर तलाक़ ।
प्रेम शब्द का हो रहा, होरी बड़ा मज़ाक़ ।।
होरी बड़ा मज़ाक़ , प्रेम बस हुआ दिखावा।
वेलेंटाइन  डे भी तो  बस ,एक  छलावा ।।
शादी और तलाक़ तो , अब जैसे हों गेम ।
टूटेंगे सम्बन्ध और भी , अगर नही है प्रेम ।।
------------____________________
२--
घर  घर में  चैनेल हुये, चैन  नहीं है आज ।
अपने अपने सीरियल ,बने कोढ़ में खाज़।।
बने कोढ़  में खाज़ ,जुदा हैं  घर घर भाई ।
बेटा बाप बहू सास संग, जुदा हुई भौजाई।।
टूट  रहे  परिवार   यहाँ , बिन अगर  मगर ।
टीवी  फैला  जब  से ,टीबी  सा  घर  घर ।।
०००००००००००००००००००००००००००००
राजकुमार सचान होरी
www.horionline.blogspot.com

मंगलवार, 29 मार्च 2016

Fwd: Ridit 22/3/16



---------- Forwarded message ----------
From: Raj Kumar Sachan HORI <rajkumarsachanhori@gmail.com>
Date: Monday 28 March 2016
Subject: Ridit 22/3/16
To: Rajkumar sachan <horirajkumar@gmail.com>



Fwd: Raj Kumar Sachan 'HORI'



---------- Forwarded message ----------
From: Raj Kumar Sachan'HORI' राज कुमार सचान"होरी" <noreply+feedproxy@google.com>
Date: Tuesday 29 March 2016
Subject: Raj Kumar Sachan 'HORI'
To: pateltimes47@gmail.com


Raj Kumar Sachan 'HORI'


End casteism

Posted: 28 Mar 2016 02:19 AM PDT

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Fwd: [KURMI KSHATRIYA MAHAA SANGH] Kisaan aur Gareeb



---------- Forwarded message ----------
From: AKHIL BHARTIYA KURMI KSHATRIYA MAHAA SANGH <kurmikshatriyamahaasangh@gmail.com>
Date: Monday 25 May 2015
Subject: [KURMI KSHATRIYA MAHAA SANGH] Kisaan aur Gareeb
To: horisardarpatel@gmail.com


किसान और ग़रीब 
----------------
68 वर्षों की स्वतंत्रता के बाद भी किसान ग़रीब शब्द का पर्याय क्यों बना रहा ?? कृषि घाटे का व्यवसाय हमेशा से ही रहा है इस लिये । किसी व्यवसायी को किसी धन्धे में लगातार घाटा होता रहे फिर भी वह पीढ़ी दर पीढ़ी उसी में चिपटा रहे यही तो किसान है ! अन्नदाता और जय किसान के भ्रम में जीना और मरना ही उसकी नियति रही है । 
उत्तम खेती कभी नहीं थी ,और न उत्तम कभी किसान ।
जय किसान कह ठगा गया बस ,होरी बोले सदा सचान ।।
         उसके समीप गाँवों में रोज़गार सृजन करें , कृषि के ७० प्रतिशत भार को कम करें ।कृषि के लागत मूल्यों को कम करें ,सीधे सब्सिडी देकर ।
                                      राज कुमार सचान होरी 
                         राष्ट्रीय अध्यक्ष ---बदलता भारत


--
Posted By AKHIL BHARTIYA KURMI KSHATRIYA MAHAA SANGH to KURMI KSHATRIYA MAHAA SANGH on 5/25/2015 01:25:00 a.m.

रविवार, 27 मार्च 2016

यूकीलिप्टस की खेती से लखपति बनें

यदि आप अपने खेतों के एक हेक्टेयर में यानी चार बीघे में ३@२ मीटर की दूरी पर यूकीलिप्टस लगाते हैं तो उसमें गन्ने की फ़सल के साथ ऐसा कर सकते हैं । पेड़ कुल लगेंगे १६६७ जो आठ साल से दस साल में प्रत्येक लगभग दो हज़ार रुपये का होगा । यानी कुल पेड़ों की क़ीमत होगी लगभग रुपये तेंतीस लाख । मान लिया जाय कि यह फ़सल १० सालों में तैयार होगी तो एक साल में औसत तीन लाख रुपये पड़ा । गन्ने की क़ीमत अलग ।लागत को घटाने के बाद भी शुद्ध आय लाखों में होगी ।
बन गये लखपति आप 
राजकुमार सचान होरी 
अध्यक्ष -- कृषक ग्रामीण श्रमिक मंच
सम्पादक - पटेल टाइम्स

Fwd: होरी कहिन २७ मार्च



---------- Forwarded message ----------
From: Rajkumar Sachan <horirajkumar@gmail.com>
Date: Sunday 27 March 2016
Subject: होरी कहिन २७ मार्च
To: Sun Star Feature <sunstarfeature@gmail.com>, Sun Star V S Tiwari <vstiwari1969@rediffmail.com>


होरी कहिन 
०००००००००
१-- 
पहुँचा अब  पंजाब में , अपना   सन स्टार ।
भांगड़ा  करने के  लिये , हो जाओ तैयार ।।
हो जाओ तैयार , न्यूज़ में वियूज मिला दो ।
निष्पक्ष समाचारों की घुट्टी ,उन्हें पिला दो ।।
पंजाबी  कल्चर  का  तड़का ,पुन:  लगेगा ।
सन  स्टार  वहाँ  पर घर घर  ,जभी पढ़ेगा ।।
०००००००००००००००००००००००००००००००
२-- 
चन्द देश ही खेलते , खेल क्रिकेट का आज ।
मात्र उन्हीं में पहनते , विश्व क्रिकेट का ताज ।।
विश्व क्रिकेट का ताज , मात्र दस बारह कंट्री ।
नाहक   ही  दीवानी   रहती , इनकी    जेंट्री ।।
बूढ़े  बच्चे  सभी   क्रिकेट  में ,मस्त  मस्त हों ।
स्कूल, फैक्ट्री , कार्यालय ,सब पस्त पस्त हों ।।
०००००००००००००००००००००००००००००००००००
३--
वोट  बैंक   में फँस गया, प्रजातंत्र  है आज ।
राजनीति का पतन भी , बना कोढ़ में खाज़ ।।
बना  कोढ़  में  खाज़ , पतन   तेज़ी से जारी ।
आज  दूरियाँ  बढ़ी  हुई ,जन   जन में भारी ।।
चारों   ओर  दिख  रही  मन में , भारी  खोट ।
होरी   बस  महत्व   है  केवल ,  केवल  वोट ।।
००००००००००००००००००००००००००००००००
४--
हिन्दू अनगिन जातियाँ , अनगिन हैं मतभेद ।
हिन्दू तन  मन  में हुये , आज  अनेकों छेद ।।
आज  अनेकों  छेद , एकता  में  दिखते  हैं ।
अनगिन  देव ,देवियाँ  हिन्दू  में  मिलते हैं ।।
छिन्न  भिन्न होने का है , इतिहास   हमारा ।
होरी  क्या  होगा  भारत , परतंत्र   दुबारा ।।
@@@@@@@@@@@@@@@@
राज कुमार सचान होरी 

होरी कहिन

होरी कहिन
०००००००००
१--
पहुँचा अब पंजाब में , अपना सन स्टार ।
भांगड़ा करने के लिये , हो जाओ तैयार ।।
हो जाओ तैयार , न्यूज़ में वियूज मिला दो ।
निष्पक्ष समाचारों की घुट्टी ,उन्हें पिला दो ।।
पंजाबी कल्चर का तड़का ,पुन: लगेगा ।
सन स्टार वहाँ पर घर घर ,जभी पढ़ेगा ।।
०००००००००००००००००००००००००००००००
२--
चन्द देश ही खेलते , खेल क्रिकेट का आज ।
मात्र उन्हीं में पहनते , विश्व क्रिकेट का ताज ।।
विश्व क्रिकेट का ताज , मात्र दस बारह कंट्री ।
नाहक ही दीवानी रहती , इनकी जेंट्री ।।
बूढ़े बच्चे सभी क्रिकेट में ,मस्त मस्त हों ।
स्कूल, फैक्ट्री , कार्यालय ,सब पस्त पस्त हों ।।
०००००००००००००००००००००००००००००००००००
३--
वोट बैंक में फँस गया, प्रजातंत्र है आज ।
राजनीति का पतन भी , बना कोढ़ में खाज़ ।।
बना कोढ़ में खाज़ , पतन तेज़ी से जारी ।
आज दूरियाँ बढ़ी हुई ,जन जन में भारी ।।
चारों ओर दिख रही मन में , भारी खोट ।
होरी बस महत्व है केवल , केवल वोट ।।
००००००००००००००००००००००००००००००००
४--
हिन्दू अनगिन जातियाँ , अनगिन हैं मतभेद ।
हिन्दू तन मन में हुये , आज अनेकों छेद ।।
आज अनेकों छेद , एकता में दिखते हैं ।
अनगिन देव ,देवियाँ हिन्दू में मिलते हैं ।।
छिन्न भिन्न होने का है , इतिहास हमारा ।
होरी क्या होगा भारत , परतंत्र दुबारा ।।
@@@@@@@@@@@@@@@@
राज कुमार सचान होरी
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farmers of india - Google Search

https://www.google.co.in/search?hl=en&site=imghp&tbm=isch&source=hp&biw=980&bih=674&q=farmers+of+india&oq=farmers+of&gs_l=img.1.0.0l10.9502.30502.0.34434.10.9.0.1.1.0.293.1759.0j6j3.9.0....0...1ac.1.64.img..0.10.1772.MCrCPS1lrc0#imgrc=NtyA9jkxGXmXYM%3A


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शनिवार, 26 मार्च 2016

Fwd: बदलता भारत



---------- Forwarded message ----------
From: बदलता भारत{INDIA CHANGES} <noreply+feedproxy@google.com>
Date: Monday 14 March 2016
Subject: बदलता भारत
To: horirajkumar@gmail.com


बदलता भारत


गेहूँ का समर्थन मूल्य

Posted: 13 Mar 2016 10:14 AM PDT

गेहूँ का समर्थन मूल्य
०००००००००००००००
भाजपा की केंद्र सरकार और प्रदेश सरकारो से "बदलता भारत "की ओर से किसानों के लिये माँग है कि इस वर्ष किसानों के लिये मददगार साबित हों और गेंहू की लागत में कम से कम 25% की वृद्धि करते हुये समर्थन मूल्य घोषित करें । फ़सलों में क्षति का मुद्दा अलग है उसके लिये बीमा है पर उत्पादन का तो सही मूल्य दें । किसान को केवल वोट बैंक न समझा जाय। जय किसान ।।
राजकुमार सचान होरी
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शुक्रवार, 25 मार्च 2016

Fwd: India Fights Casteism



---------- Forwarded message ----------
From: Patel Times Magzine <pateltimes47@gmail.com>
Date: Friday 25 March 2016
Subject: India Fights Casteism
To: horisardarpatel.patel@blogger.com
Cc: rajkumarsachanhori.rksh@blogger.com


जाति तोड़ो , राष्ट्र जोड़ो 
००००००००००००००००००
      भारत को अगर कहा जाय कि जातियों का देश है तो उपयुक्त होगा । सदियों से वर्ण और जातियों ने आपस में ऐसी खाई खींची है कि सदा आपस में लड़ते भी हैं, कभी एक नहीं होते भले ही बार बार ग़ुलाम होते रहें । अभी भी इनको तोड़ने के लिये समाज न तो कोई कार्यक्रम चलाता है न ही हिन्दू ,शासन से इन्हें समाप्त करने के लिये क़ानून बनाने की माँग ही करता है । 
          असंख्य जातियों और असंख्य देवी देवताओं मे बँटा यह देश कब तक अपनी ख़ैरियत मनायेगा ।धर्म प्रचारक,उपदेशक बस अपनी कमाई में लगे हैं समाज की एकता से उन्हे कोई लेना देना नहीं । हिन्दुओं के बड़े बड़े संगठन सब भावनायें तो भड़काते हैं जातियों को समाप्त करने की बात नहीं करते । फिर एकता कैसे हो? किस आधार पर हो? सबकी अपनी जाति, अपने देवी देवता , अपनी धार्मिक पुस्तक ,अपनी मान्यतायें । अनेकता में एकता की बात करने वालों मूढ़ों केवल एकता की बात क्यों नहीं??  अगर जातियाँ समाप्त हो जाँय तो आरक्षण अपने आप समाप्त हो जायेगा । बस एक दूसरे से अपने को बडा दिखाने में ऐसे ही लगे रहो एक दिन यही जातियाँ और बहुदेववाद तुम्हें फिर ग़ुलाम बनायेगा ।
                    राज कुमार सचान होरी 
        सम्पादक - पटेल टाइम्स 

India Fights Casteism

जाति तोड़ो , राष्ट्र जोड़ो 
००००००००००००००००००
      भारत को अगर कहा जाय कि जातियों का देश है तो उपयुक्त होगा । सदियों से वर्ण और जातियों ने आपस में ऐसी खाई खींची है कि सदा आपस में लड़ते भी हैं, कभी एक नहीं होते भले ही बार बार ग़ुलाम होते रहें । अभी भी इनको तोड़ने के लिये समाज न तो कोई कार्यक्रम चलाता है न ही हिन्दू ,शासन से इन्हें समाप्त करने के लिये क़ानून बनाने की माँग ही करता है । 
          असंख्य जातियों और असंख्य देवी देवताओं मे बँटा यह देश कब तक अपनी ख़ैरियत मनायेगा ।धर्म प्रचारक,उपदेशक बस अपनी कमाई में लगे हैं समाज की एकता से उन्हे कोई लेना देना नहीं । हिन्दुओं के बड़े बड़े संगठन सब भावनायें तो भड़काते हैं जातियों को समाप्त करने की बात नहीं करते । फिर एकता कैसे हो? किस आधार पर हो? सबकी अपनी जाति, अपने देवी देवता , अपनी धार्मिक पुस्तक ,अपनी मान्यतायें । अनेकता में एकता की बात करने वालों मूढ़ों केवल एकता की बात क्यों नहीं??  अगर जातियाँ समाप्त हो जाँय तो आरक्षण अपने आप समाप्त हो जायेगा । बस एक दूसरे से अपने को बडा दिखाने में ऐसे ही लगे रहो एक दिन यही जातियाँ और बहुदेववाद तुम्हें फिर ग़ुलाम बनायेगा ।
                    राज कुमार सचान होरी 
        सम्पादक - पटेल टाइम्स 

Fwd: होरी कहिन



---------- Forwarded message ----------
From: Raj Kumar Sachan HORI <rajkumarsachanhori@gmail.com>
Date: Friday 25 March 2016
Subject: होरी कहिन
To: Sunstarfeature@gmail.com


होरी कहिन 
०००००००००००
१-- होरी में चल खेलते , जेएनयू इस बार ।
जहाँ कन्हैया कर रहे , खुल्लम खुल्ला प्यार ।।
खुल्लम  खुल्ला  प्यार करें , आज़ादी   पूरी ।
करें  सभी  कुछ  आज़ादी , पर  लगे  अधूरी ।।
लाल  रंग  में डूब   कन्हैया , काला    पोते ।
होरी   बाक़ी   रंग   दुखी , जे एन यू  रोते ।। 
०००००००००००००००००००००००००००००
२--
होली दीवाली तभी , जब  तक  वीर जवान।
घर में हों धन धान्य सब, ज़िन्दाबाद किसान ।।
ज़िन्दाबाद  किसान , देश  में  हो  हरियाली ।
ख़ुश हो आस पड़ोस , और ख़ुश हो घरवाली ।।
भाँति  भाँति   के रंग  लगायें , बोलें   बोली ।
होरी   आयें   राष्ट्रप्रेम   की , खेलें    होली ।।
@@@@@@@@@@@@@@@@@@
राजकुमार सचान होरी 


सोमवार, 21 मार्च 2016

फ़ेसबुक के विद्वान (भाग १ )

फ़ेसबुक के विद्वान (भाग १ )

--------------------------------राज कुमार सचान "होरी"
लेख के आरम्भ में ही मैं स्पष्ट कर दूँ कि फ़ेसबुक के विद्वान इसे व्यंगलेख कृपया न समझें और दूसरी महत्वपूर्ण सूचना कि कोई भी वास्तविक विद्वान ख़ुद को इस लेख का सुपात्र क़तई न माने ।

फ़ेसबुक आभासी दुनिया है, काल्पनिक मित्रता है तो फिर इतने विद्वान फेसबुकीय समाज में ! मैं क्यों दावा करूँ कि मैं वास्तविक हूँ ----सोशल एक्टिविष्ट अथवा मित्र । आप मान सकने के लिये पूर्ण सक्षम और समझदार हैं कि मैं न तो राज कुमार सचान होरी हूँ और न ही जो फ़ेसबुक आई डी का चित्र है वह ही मेरा है ।
हो सकता है मैं जो हूँ वह हूँ या मैं जो हूँ वह नहीं हूँ या मैं जो नहीं हूँ वह हूँ या मैं जो नहीं हूँ वह नहीं हूँ । अब आप सोचते रहें कि मैं वास्तव में हूँ क्या ? हूँ कैसा ? और हूँ कितना ? आप स्वतंत्र हैं कुछ भी सोचने के लिये ,कुछ भी करने के लिये मैं कौन होता हूँ मना करने वाला । यही आपकी शक्ति है जो सरकारों तक को हिला देती है । यहाँ तक कि जिन्हें यहाँ मित्र कहते है उनको धूल चटा सकती है , उनको दिन में तारे दिखा सकती है
फ़ेसबुक या इसी तरह की आभासी बुकों में कहीं भी शत्रु नाम का पात्र नहीं है । ये ऐसी दुनियाँ हैं जहाँ शत्रु भी मित्र ही होते हैं । यहाँ या तो मित्र बनाते हैं या नहीं बनाते अथवा बना कर अनफ्रेंड (मित्र) कर देते हैं । शत्रु का कन्सेप्ट ही नहीं । हाँ ,किसी मित्र की गतिविधियों से जब आप बहुत सुखी हो जाते हैं या अतिशय प्रभावित हो जाते हैं अथवा आनन्दित हो जाते हैं तब आप उसे "ब्लाक" भर कर देते हैं ,परन्तु उसे तब भी शत्रु नहीं कहते । यही तो है आज का स्वर्ग कोई शत्रु नहीं सब मित्र ही मित्र ।
अनफ्रेंड और ब्लाक्ड फ़्रेंड भी नयी आई डी के साथ , नई पहचान के साथ उतर आते हैं और फिर चालू हो जाते हैं । गीता ने इसी के लिये बहुत पहले ही कह दिया था ----वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृहणाति नरोपराणि ।तथा शरीराणि विहाय जीर्णानि अन्यानि संययाति नवानि देही ।
बार बार ,लगातार यहाँ आत्माओं का अवतार होता है । बल्कि इसकी कल्पना तो गीता ने भी नहीं की थी उस दुनिया में जितनी आत्माये उतने शरीर और वह भी एक शरीर को त्यागना पड़ेगा । यहाँ तो हम वैज्ञानिक और धार्मिक रूप से प्रगति कर गये है एक एक आत्मा एक साथ अनेकों शरीर धारण कर सकती है ,वह भी बिना मरे ही । यहाँ यह भी बन्धन नहीं कि नर नर रहेगा , नारी नारी रहेगी । पुल्लिंग स्त्रीलिंग या उभयलिंग कुछ भी कभी भी एक साथ । लोग कहते थे कि अच्छे दिन आने वाले हैं उन्हें पता नहीं ये तो न जाने कब आ गये थे ---जब से फ़ेसबुक जैसी महान बुकों का अवतरण हुआ था तभी से ।
हे मेरे फेसबुकीय विद्वानों ! धैर्य रखो अगले अंक में आपके निकट पहुँचूँगा तब तक के लिये शुभ कामना । खुदा हाफ़िज़ good night .
राज कुमार सचान "होरी"
Email -- rajkumarsachanhori@gmail.com चलित भाष । 9958788699


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शुक्रवार, 18 मार्च 2016

बदलता भारत -- पुस्तकालय,वाचनालय योजना

बदलता भारत
( साईं होरी ट्रस्ट द्वारा संचालित )
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
पुस्तकालय , वाचनालय ,सभागार योजना
---------------------------------------
भूमिका
......
हमारा देश प्राचीनतम संस्कृति का देश है । विश्व में सर्वाधिक बोली,भाषायें संस्कृतियाँ इसी देश भारत में मिलती हैं । विकास की यात्रा में यह परम आवश्यक है कि हम अपनी पहचान , अपना इतिहास सुरक्षित रखें । किसी ने ठीक ही कहा है --------
'यूनान मिश्र रोमां सब मिट गये जहाँ से ,
कुछ हस्ती है हमारी , मिटती नहीं जहाँ से ।'
प्राचीन भारत में भी नालंदा जैसे शिक्षा केन्द्र अपने विश्व प्रसिद्ध पुस्तकालयों के लिये जाने जाते थे जहाँ विदेशी भारी संख्या में विद्याध्ययन के लिये आते थे । हमारा देश विश्व गुरू था ।दुनियाँ में सर्वाधिक पुस्तकें हम प्रकाशित करते थे ,परन्तु कालान्तर में विदेशी आक्रमणों से स्थितियां निरन्तर खराब होती गईं और आज हम पिछड़ गये ।
आइये हम संस्कृति और इतिहास के संरक्षण के लिये देश में प्रभावी अभियान चलायें ।" बदलता भारत " ने आरम्भ की है -----
" पुस्तकालय , वाचनालय ,सभागार योजना"
इस योजना से देश की संस्कृति ,इतिहास के संरक्षण के साथ साथ शिक्षा और ज्ञान के प्रसार तथा विकास और रोजगार में आशातीत लाभ होगा ।
-------------------------
योजना क्या है ?
------------------
प्रत्येक जनपद के नगर निगम , नगर पालिका में एक ऐसा पुस्तकालय हो जहाँ कम्पटीशन से सम्बन्धित पुस्तकें रखी जाँय ।नई पीढ़ी को आगे बढ़ाने के लिये ।
अभियान--
०००००००००
आइये हम सब अपने अपने क्षेत्रों में यह माँग उठायें ,अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से मिलें ।




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मंगलवार, 15 मार्च 2016

Creation of EMAIL for PATEL TIMES

Your Magzine Patel Times has made its Email in Gmail.com as ----- pateltimes47@gmail.com
Patel Times needs its representatives and correspondents . Send biodata who are interested mentioning area of work  Tahsil,city and district .
                          Yours - 
                                   Rajkumar Sachan Hori 
                                 Chief Editor 
                      Patel Times 

रविवार, 13 मार्च 2016

गेहूँ का समर्थन मूल्य

गेहूँ का समर्थन मूल्य
०००००००००००००००
भाजपा की केंद्र सरकार और प्रदेश सरकारो से "बदलता भारत "की ओर से किसानों के लिये माँग है कि इस वर्ष किसानों के लिये मददगार साबित हों और गेंहू की लागत में कम से कम 25% की वृद्धि करते हुये समर्थन मूल्य घोषित करें । फ़सलों में क्षति का मुद्दा अलग है उसके लिये बीमा है पर उत्पादन का तो सही मूल्य दें । किसान को केवल वोट बैंक न समझा जाय। जय किसान ।।
राजकुमार सचान होरी
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रविवार, 6 मार्च 2016

मनरेगा का कृषि से पूर्ण सम्बद्धीकरण

विषय -- मनरेगा का कृषि से पूर्ण सम्बद्धीकरण 

००००००००००००००००००००००००००००

        प्रिय महोदय, 

                  मनरेगा के आरम्भ से कुछ कठिनाइयाँ उत्पन्न हुईहैं जिनका श्रमिकों, किसानों ,कृषि और राष्ट्र के हित में निराकरण अति आवश्यक है ------

1-- मनरेगा में कार्यों के समाप्त या कम हो जाने के कारण श्रमिकों को रोज़गार कम मिलने लगा है -- भौतिक और वित्तीय आँकड़े प्रमाण हैं

2-- काम की कमी के कारण और दबाव में धन के समयबद्ध व्यय करने के कारण विभिन्न स्तरों पर भ्रष्टाचार बढ़ा है , कार्य बिना किये भुगतान या गुणवत्ता ख़राब की शिकायतें आम हैं

3-- किसानों की कृषि मज़दूरी बढ़ जाने और श्रमिकों के कम उपलब्ध होने के कारण खेती में लागत बढ़ी है , इससे किसान की आर्थिक स्थिति दिन पर दिन ख़राब हो रही है किसानों में आत्म हत्याओं की संख्या बढ़ी है

4-- श्रमिकों की कम उपलब्धता के कारण कृषि उत्पादन घट रहा है 

                भारत सरकारऔर प्रदेश सरकारों  ने यद्यपि किसानों के लिये कुछ नये उपाय किये हैं पर वे नाकाफ़ी हैं मैं स्वयं ,उत्तर प्रदेश के कुछ जनपदों में मुख्य विकास अधिकारी के रूप में काम करते हुये मनरेगा सहित समग्र ग्राम विकास योजनायें देख चुका हूँ   विभिन्न जनपदों में किसानों के मध्य "बदलता भारत" संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में लगातार काम कर रहा हूँ अपने व्यापक अनुभवों के आधार पर मेरा सुझाव है --- 

                 मनरेगा योजना से ही किसानों के प्रमाणपत्र के आधार पर खेती में काम का भुगतान किया जाय इसके लिये नियम बनाये जायें ,शासनादेश जारी करते हुये कृषि के समस्त कार्यों के लिये कृषक को मनरेगा के मज़दूर उपलब्ध कराये जाँय जिनकी मज़दूरी का भुगतान किसान के सत्यापन के आधार पर वर्तमान व्यवस्था के अनुसार किया जाय

            उक्त व्यवस्था लागू होते ही  उल्लिखित चारों समस्यायें / कठिनाइयाँ स्वत: ही दूर हो जायेंगी और राष्ट्र का विकास होगा , ग्रामीण मज़दूर और किसान दोनो लाभान्वित होंगे इस सम्बन्ध में मैं व्यापक प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकता हूँ यदि अवसर दिया जाय

                            भवदीय 

                     राज कुमार सचान होरी 

पूर्व प्रशासनिक अधिकारी , राष्ट्रीयअध्यक्ष - बदलता भारत 

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176 Abhaykhand -1 Indirapuram , Ghaziabad 201014 



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Anupam Kher’s speech at The Telegraph National Debate 2016

Take a look at this video on YouTube:

http://youtu.be/9-K1_FAvXaw


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मंगलवार, 1 मार्च 2016

Future of India -- farmers & army

भारत का भविष्य 

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जय जवान ! जय किसान !!

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        अगर देश में एक भी किसान दुखी रहे और जवान को सुविधायें और देश का सम्मान मिलता रहे तो यह तय है कि यह देश दुबारा कभी ग़ुलाम होगा इतना सशक्त होगा कि विश्व शक्ति बनें

पर देश को कमजर्फ नेताओं और कमीनी राजनीति से बचाना होगा पूरा देश राष्ट्रवादी बन जायेगा अगर यह समझा जाय कि हिन्दू का विरोध और अपमान ही धर्मनिरपेक्षता है सही ,शरीफ़ मुसलमान या हिन्दू हमेशा देशप्रेमी होता है वहमिल कर रहना चाहता है पर कुछ सिरफिरे नेता हिन्दू मुस्लिम को लड़ा कर कुर्सी का गन्दा खेल खेलते हैं , तभी वे ही लोग किसानों और जवानों को हर सम्भव अपमानित करते हैं

किसानों और जवानों को शक्तिशाली बनायें राष्ट्र को संगठित और शक्तिशाली बनायें।

           जय जवान, जय किसान ,जय पटेल, जय सुभाष, जय हिन्द 

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राजकुमार सचान होरी 

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HORI KAHIN

           होरी कहिन 

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फूल और फल अब रहे,चहुँ दिशि में नक्काल

होरी   अपने   देश   में , बड़े   बड़े    भोकाल ।।

बड़े   बड़े  भोकाल , नक़ल  में  अकल  लगाते

दुनियाभर  का माल ,नक़ल  में  असल  बनाते ।।

कवि लेखक भी नक़ली,नक़ली नक़ली हैं स्कूल

सूँघ रहे हम जिन्हें चाव से , वे भी नक़ली फूल ।।

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पढ़ लिख कर डिग्री लिये , फिरते चारों ओर

पढ़े  लिखों  में  बढ़  रही , बेकारी   घनघोर ।।

बेकारी  घनघोर , डिग्रियाँ  भी कुछ   जाली

असली नक़ली खोखली कुछ तो चप्पे वाली ।।

स्किल   डेवलप   एक  रास्ता  , तू  आगे बढ़

स्किल   डेवलप  कोर्सों   को ही ,अब तू पढ़ ।।

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सत्तर प्रतिशत गाँव में ,अब भी देश सचान

कुछ भूखे नंगे मिलें , कुछ के निकले  प्रान ।।

कुछ के  निकले  प्रान , मगर   वे  हैं बेचारे

बस शहरों   की राजनीति के , मारे   सारे ।।

फ़सलों की लागत कम होती ,नहीं कभी भी।

अब  गाँवों  की दशा ,दुर्दशा  हाय   ग़रीबी ।।

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सभी अन्नदाता दुखी , तिल तिल मरे किसान

देश बढ़   रहा शान  से , कहते  मगर सचान ।।

कहते   मगर  सचान , देश में   ख़ुशहाली  है

यह किसान को सुन सुन कर , लगती गाली है।।

होरी  अब   भी गोदानों की , वही   कहानी  है

धनिया , गोबर वही , गाँव का वह ही पानी है ।।

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राज कुमार सचान होरी 

१७६ अभयखण्ड - इंदिरापुरम , गाजियाबाद 

horirajkumar@gmail.com

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