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गुरुवार, 31 मार्च 2016

बदलता भारत की माँग

बदलता भारत 

की माँग 

4 /कृषि को उद्योग का दर्जा 

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      कृषि के समस्त कार्य एक उद्योग की तरह हैं लगातार पूंजी निवेश , स्रम , उत्पादन आदि समस्त क्रियायें उद्योगों की भाँति होती हैं समर्थन मूल्य भी मज़बूरी मे ही सही सरकारों द्वारा जारी किये जाते हैं कृषक और कृषि असंगठित क्षेत्र हैं इस लिये उद्योंगों की तरह अपने मूल्य का निर्धारण नहीं कर पाता है लागतें बढ़ती जाती हैं जिससे शुद्ध आय कम हो जाती है कीमतों का निर्धारण आय और व्यय के आधार पर किया जाता है परन्तु कृषि में ऐसा नहीं हो रहा है यहाँ किसान फ़सलें बो तो सकता है पर उनकी कीमत उद्योंगो की तरह स्वयं निर्धारित नहीं कर सकता  

                    कृषि के अंतर्गत लागत अधिक और आय कम होने के कारण किसानों का जीवनयापन तक कठिन है देश भर  में किसानों के द्वारा आत्महत्या की घटनायें भी प्रकाश में आती रहती हैं कृषि को लाभकारी बनाना किसानों के लिये तो ज़रूरी है ही समस्त देश के विकास और अनाज उपलब्धता के लिये भी आवश्यक ही नहीं अपितु अनिवार्य भी है

            एक उद्योग की तरह बैंकों से लोन भी स्वीकृत नहीं हो सकता कृषि को स्वयं बैंक घाटे का क्षेत्र मानता है। परन्तु दोनों स्थितियों से किसान को मुक्ति मिल सकती है यदि कृषि को उद्योग का दर्जा दे दिया जाय

                 राज कुमार सचान होरी 

                राष्ट्रीय अध्यक्ष

                 बदलता भारत(INDIA CHANGES )

www.horiindiachanges.blogspot.com, www.horiindianfarmers.blogspot.com

www.indianfarmingtragedy.blogspot.com


           



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