होरी कहिन
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१--
प्रेम विवाह उधर बढे , बढ़ते इधर तलाक़ ।
प्रेम शब्द का हो रहा, होरी बड़ा मज़ाक़ ।।
होरी बड़ा मज़ाक़ , प्रेम बस हुआ दिखावा।
वेलेंटाइन डे भी तो बस ,एक छलावा ।।
शादी और तलाक़ तो , अब जैसे हों गेम ।
टूटेंगे सम्बन्ध और भी , अगर नही है प्रेम ।।
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२--
घर घर में चैनेल हुये, चैन नहीं है आज ।
अपने अपने सीरियल ,बने कोढ़ में खाज़।।
बने कोढ़ में खाज़ ,जुदा हैं घर घर भाई ।
बेटा बाप बहू सास संग, जुदा हुई भौजाई।।
टूट रहे परिवार यहाँ , बिन अगर मगर ।
टीवी फैला जब से ,टीबी सा घर घर ।।
०००००००००००००००००००००००००००००
राजकुमार सचान होरी
www.horionline.blogspot.com
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१--
प्रेम विवाह उधर बढे , बढ़ते इधर तलाक़ ।
प्रेम शब्द का हो रहा, होरी बड़ा मज़ाक़ ।।
होरी बड़ा मज़ाक़ , प्रेम बस हुआ दिखावा।
वेलेंटाइन डे भी तो बस ,एक छलावा ।।
शादी और तलाक़ तो , अब जैसे हों गेम ।
टूटेंगे सम्बन्ध और भी , अगर नही है प्रेम ।।
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२--
घर घर में चैनेल हुये, चैन नहीं है आज ।
अपने अपने सीरियल ,बने कोढ़ में खाज़।।
बने कोढ़ में खाज़ ,जुदा हैं घर घर भाई ।
बेटा बाप बहू सास संग, जुदा हुई भौजाई।।
टूट रहे परिवार यहाँ , बिन अगर मगर ।
टीवी फैला जब से ,टीबी सा घर घर ।।
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राजकुमार सचान होरी
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