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बुधवार, 30 जनवरी 2013

5 अस्पृश्ता निवारण और सामाजिक समरसता

5 अस्पृश्ता निवारण और सामाजिक समरसता
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इस देश का ऐतिहासिक कटु सत्य है ़़़़जातियां और जातियाँ ।जातियों के अन्दर जातियाँ । जातियों के बाहर जातियाँ । इनमें कोयी ऊँचा तो कोयी नीचा । छुआछूत अभी तक जारी । विवाह ,भोजन में पृथक पृथक । यहाँ तक धर्म परिवर्तन के पश्चात भी जातियाँ विद्यमान हैं और उनमें छोटी बड़ी सभी ।
देश का बड़ा दुर्भाग्य है कि इन असंख्य जातियों के कारण अस्पृश्ता बनी हुयी है और सामाजिक समरसता अन्त्यन्त क्षीण है । कभी धर्म के कारण तो कभी जातियों के कारण समाज में एकता नहीं आ पाती , राष्ट्र वाद की भीषण कमी है ।
इस देश को जिसने भी जाना समझा उसने सबसे पहले अछूत (अस्पृश्य ) को गले लगाया ़़़़़गांधी को ही देख लीजिये हमेंशा अछूतोद्धार के लिये कार्य किया ।
आइए देश की इस घृणित कुरीति को हमेशा के लिये जड़ से उखाड़ फेंकने और जातियो के अन्तर को मिटाने के लिये हमारे साथ आयें । कंधा से कंधा मिलायें । इंडिया चेंजेज़ के साथ आयें । प्रत्येक शुबह की शुरुआत किसी अछूत समझे जाने वाले परिवार के घर प्रात:भोजन से करें, दोपहर एक मज़दूर के यहाँ भोजन और रात एक किसान के घर भोजन , यह हमारी पद्धति है समरसता की ।
अंतर्जातीय विवाहों को बढ़ावा देना ।ऐसा करने वालों को सम्मानित करना ।
इंडिया चेंजे़ज़ ( INDIA CHANGES )



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4 /कृषि को उद्योग का दर्जा

4 /कृषि को उद्योग का दर्जा
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कृषि के समस्त कार्य एक उद्योग की तरह हैं । लगातार पूंजी निवेश , स्रम , उत्पादन आदि समस्त क्रियायें उद्योगों की भाँति होती हैं । समर्थन मूल्य भी मज़बूरी मे ही सही सरकारों द्वारा जारी किये जाते हैं । कृषक और कृषि असंगठित क्षेत्र हैं इस लिये उद्योंगों की तरह अपने मूल्य का निर्धारण नहीं कर पाता है । लागतें बढ़ती जाती हैं जिससे शुद्ध आय कम हो जाती है । कीमतों का निर्धारण आय और व्यय के आधार पर किया जाता है परन्तु कृषि में ऐसा नहीं हो रहा है । यहाँ किसान फ़सलें बो तो सकता है पर उनकी कीमत उद्योंगो की तरह स्वयं निर्धारित नहीं कर सकता ।
कृषि के अंतर्गत लागत अधिक और आय कम होने के कारण किसानों का जीवनयापन तक कठिन है । देश भर में किसानों के द्वारा आत्महत्या की घटनायें भी प्रकाश में आती रहती हैं । कृषि को लाभकारी बनाना किसानों के लिये तो ज़रूरी है ही समस्त देश के विकास और अनाज उपलब्धता के लिये भी आवश्यक ही नहीं अपितु अनिवार्य भी है ।
एक उद्योग की तरह बैंकों से लोन भी स्वीकृत नहीं हो सकता ।कृषि को स्वयं बैंक घाटे का क्षेत्र मानता है। परन्तु दोनों स्थितियों से किसान को मुक्ति मिल सकती है यदि कृषि को उद्योग का दर्जा दे दिया जाय ।
इंडिया चेंजेज़ (INDIA CHANGES )



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2/जनसंख्या नियंत्रण

2/जनसंख्या नियंत्रण
हमारे देश की जनसंख्या 1901 की जनगणना के अनुसार लगभग 23 करोड़ 80 लाख थी जिसमें वर्तमान पाकिस्तान और बांग्लादेश के भूभाग भी सम्मिलित थे । 2011 की जनगणना के आधार पर भारत वर्ष की जनसंख्या ही एक सौ पच्चीस करोड़ से अधिक है जो पाँच गुना से अधिक है जिसमें वर्तमान पाकिस्तान और बांग्लादेश की जन संख्या सम्मिलित नहीं है । भारत के वर्तमान भूभाग की तुलनात्मक जनसंख्या वृद्धि तो 7 गुना से भी अधिक होगी ।
भारतवर्ष ने स्वतंत्रता के बाद बहुत प्रगति की परन्तु सम्पूर्ण प्रगति जनसंख्या रूपी सुरसा के मुँह में समा गई । जहाँ सकल आय बढ़ी वहीं प्रति व्यक्ति आय में हम पूरे विश्व में पायदान पर हैं । ऐसा क्यों ? उत्तर एकदम स्पष्ट है भारी जनसंख्या वृद्धि । जनसंख्या वृद्ध विकास की नंबर एक शत्रु है ।
जनसंख्या वृद्धि जहाँ विकास की परम दुश्मन है वहीं यह अपराधों की जननी है । एक ऐसा वर्ग विकसित हो जाता है जिसको कोई काम न मिलने पर अपराध की ओर मुड़ जाता है ।उस वर्ग की शिक्षा दीक्षा कम रहती है, अभाव में बचपन बीतता है और वे दूसरों को सुखी संपन्न देखते हैं तभी उनके मन में बदले की भावना , ईर्श्या, विद्वेष तथा भांतिभांति के अपराध पनपने लगते हैं । आज पूरे देश में यही भयानक स्थिति हो रही है बलात्कार , हत्याओं आदि जघन्य अपराधों में दुनियाँ में सर्व श्रेष्ठ । जनसंख्या अधिक होने के कारण अपराधियों की भारी संख्या के सामने पुलिस बल अत्यन्त कम पड़ जाता है और असहाय नज़र आता है ।
माँग और पूर्ति में भारी अंतर से अभाव जन्म लेता है तो अभावों को दूर करने के लिये भी एक बहुत बड़ा वर्ग रिश्वत देने के लिये तैयार रहता है तो दूसरा वर्ग इसका लाभ उठा कर भ्रष्टाचार शुरू कर देता है । भारी जनसंख्या के कारण ही एक ऐसा वर्ग तैयार हो जाता है जो क़ानूनों से ऊपर उठ कर सारे संसाधनों पर कब्जा करने लगता है।
चीन का उदाहरण दुनिया के सामने है ।हमें अब देश के भविष्य के लिये जनसंख्या नियंत्रण के लिये एक सशक्त क़ानून बिना विलम्ब के बनाना ही पड़ेगा ।अब शुतुर्मुर्ग की तरह आंखें बन्द कर लेने से तूफान टलेगा नहीं बल्कि जनसंख्या विस्फोट का तूफान हम चेतें नहीं राष्ट्र को उड़ा ले जायेगा ।
आइए, देश के लिये जनसंख्या नियंत्रण का क़ानून बनायें।


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इंडिया चेंज़ेज़ (INDIA CHANGES )

इंडिया चेंज़ेज़ (INDIA CHANGES )
( एक राष्ट्रीय आंदोलन ़़़़़़आम जन को समर्पित )
हमारे मुख्य बिन्दु ़़़़़़़़़़
(1) मनरेगा ( महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना)को मज़दूर और किसान के हित तथा क्रषि और राष्ट्र हित में पूर्ण सम्बद्ध कराना ।
(2) जनसंख्या विस्फोट को रोकने के लिये देश के विकास के हित में क़ानून की माँग ।
(3) 73 वें और 74 वें संविधान संसोधन को जनता की सरकार जनता के द्वार के लिये लागू कराना । जनता के सशक्तीकरण के लिये आंदोलन ।
(4) क्ृषि को उद्योग का दर्जा दिलाना ।
(5) अस्पृश्यता निवारण और सामाजिक समरसता स्थापित करने हेतु जातिविहीन समाज की स्थापना ।
(6) चुनाव सुधार ।
(7) शहरीकरण को बढ़ावा देना ।
(8) सेना को सुविधायें और सम्मान वृद्धि की माँग ।
(9) भारतीय भाषाओं और राजभाषा हिन्दी का उत्थान ।
(10) समस्त अनुदानों को लाभार्थियों के खातों में सीधे भेजने की माँग ।
(11) राष्ट्रीय एकीकरण व राष्ट्र वाद का पोषण ।
(12) बेरोजगारी दूर करने हेतु आंदोलन और उपाय सुझाना ।
(13) समस्त देश में सफाई कर्मचारियों और उनके परिवारों का उन्नयन तथा 2011 की जनसंख्या के आधार पर भर्ती हेतु आंदोलन ।
(14) नारी और कमज़ोर वर्गों के सम्मान और अधिकारों की रक्षा की सतत माँग ।
इन बिंदुओं के लिये आंदोलन चलाना और समान विचारधारा वाले संगठनों तथा प्रदेश और देश की सरकारों से इस हेतु सहयोग प्राप्त करना ।
राज कुमार सचान ' होरी'
राष्ट्रीय संयोजक
63 , NK 3rd INDIRAPURAM , GHAZIABAD (UP)
Delhi office ...182/3 महरौली , नई दिल्ली -30
Lko office ..redfile ,near Islamia college ,Lal Bag ,Lucknow
www.indiachanges.com
indiachanges2012@gmail.com
indiachanges2013@gmail.com
horiindiachanges@gmail.com


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गुरुवार, 10 जनवरी 2013

इंडिया चेंज़ेज़ (INDIA CHANGES )

इंडिया चेंज़ेज़ (INDIA CHANGES )
( एक राष्ट्रीय आंदोलन ़़़़़़आम जन को समर्पित )
हमारे मुख्य बिन्दु ़़़़़़़़़़
1 / मनरेगा को मज़दूर और किसान के हित तथा क्रषि और राष्ट्र हित में पूर्ण सम्बद्ध कराना ।
2 / जनसंख्या विस्फोट को रोकने के लिये देश के विकास के हित में क़ानून की माँग ।
3 / 73 वें और 74 वें संविधान संसोधन को जनता की सरकार जनता के द्वार के लिये लागू कराना ।
4 /क्रषि को उद्योग का दर्जा दिलाना ।
5 / अस्प्रश्यता निवारण और सामाजिक समरसता ।
6 / चुनाव सुधार ।
7 / शहरीकरण को बढ़ावा देना ।
8 / सेना को सुविधायें और सम्मान ।
9 / भारतीय भाषाओं का उत्थान ।
10 / समस्त अनुदानों को लाभार्थियों के खातों में भेजने की माँग ।
11 / राष्ट्रीय एकीकरण व राष्ट्र वाद का पोषण ।
इन बिंदुओं के लिये आंदोलन चलाना और समान विचारधारा वाले संगठनों तथा प्रदेश और देश की सरकारों से इस हेतु सहयोग प्राप्त करना ।
राज कुमार सचान ' होरी'
राष्ट्रीय संयोजक


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बुधवार, 9 जनवरी 2013

Narega to link with farmers

India changes wants to make movement for comman man. Several importants issued are there but no one is caring . Let's go .

शुक्रवार, 4 जनवरी 2013

India must change

भारत में अंग्रेजों के बनाये कानून ही चल रहे हैं . समाज की मांग के अनुसार उनके बदलने की आवश्यकता है . आईये हम भारत के लोग INDIA CHANGES के साथ मिल कर देश व्यापी अभियान चलायें .