विषय -- मनरेगा का कृषि से पूर्ण सम्बद्धीकरण
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प्रिय महोदय,
मनरेगा के आरम्भ से कुछ कठिनाइयाँ उत्पन्न हुईहैं जिनका श्रमिकों, किसानों ,कृषि और राष्ट्र के हित में निराकरण अति आवश्यक है ------
1-- मनरेगा में कार्यों के समाप्त या कम हो जाने के कारण श्रमिकों को रोज़गार कम मिलने लगा है -- भौतिक और वित्तीय आँकड़े प्रमाण हैं ।
2-- काम की कमी के कारण और दबाव में धन के समयबद्ध व्यय करने के कारण विभिन्न स्तरों पर भ्रष्टाचार बढ़ा है , कार्य बिना किये भुगतान या गुणवत्ता ख़राब की शिकायतें आम हैं ।
3-- किसानों की कृषि मज़दूरी बढ़ जाने और श्रमिकों के कम उपलब्ध होने के कारण खेती में लागत बढ़ी है , इससे किसान की आर्थिक स्थिति दिन पर दिन ख़राब हो रही है । किसानों में आत्म हत्याओं की संख्या बढ़ी है ।
4-- श्रमिकों की कम उपलब्धता के कारण कृषि उत्पादन घट रहा है
भारत सरकारऔर प्रदेश सरकारों ने यद्यपि किसानों के लिये कुछ नये उपाय किये हैं पर वे नाकाफ़ी हैं । मैं स्वयं ,उत्तर प्रदेश के कुछ जनपदों में मुख्य विकास अधिकारी के रूप में काम करते हुये मनरेगा सहित समग्र ग्राम विकास योजनायें देख चुका हूँ । विभिन्न जनपदों में किसानों के मध्य "बदलता भारत" संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में लगातार काम कर रहा हूँ । अपने व्यापक अनुभवों के आधार पर मेरा सुझाव है ---
मनरेगा योजना से ही किसानों के प्रमाणपत्र के आधार पर खेती में काम का भुगतान किया जाय । इसके लिये नियम बनाये जायें ,शासनादेश जारी करते हुये कृषि के समस्त कार्यों के लिये कृषक को मनरेगा के मज़दूर उपलब्ध कराये जाँय जिनकी मज़दूरी का भुगतान किसान के सत्यापन के आधार पर वर्तमान व्यवस्था के अनुसार किया जाय ।
उक्त व्यवस्था लागू होते ही उल्लिखित चारों समस्यायें / कठिनाइयाँ स्वत: ही दूर हो जायेंगी और राष्ट्र का विकास होगा , ग्रामीण मज़दूर और किसान दोनो लाभान्वित होंगे ।इस सम्बन्ध में मैं व्यापक प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकता हूँ यदि अवसर दिया जाय ।
भवदीय
राज कुमार सचान होरी
पूर्व प्रशासनिक अधिकारी , राष्ट्रीयअध्यक्ष - बदलता भारत
www.horibadaltabharat.blogspot.com
www.horiindianfarmers.blogspot.com
09958788699(what's app ) 07599155999
Email -- horirajkumar@gmail.com
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