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सोमवार, 31 अक्टूबर 2011
PATEL TIMES: LEKH BHEJEN
LEKH BHEJEN
PATEL MUST FOR NATION
प्रजातंत्र में कहने को तो जनता का शासन होता है पर वास्तव में उन्ही के निर्णय ,निर्देश चलते हैं जो सत्ता में विराजमान होते हैं ....इनमें भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रधान मंत्री और राज्यों के स्तर पर मुख्य मंत्री ही विशेष महत्वपूर्ण होते हैं | अब अगर इन पदों में बैठे लोग दृढ इच्छाशक्ति के होंगे , आदर्श चरित्र के होंगे तो देश, समाज का दूसरा रूप होगा और अगर कायर , डरपोक लिजलिजे होंगे तो देश का वातावरण दूसरा होगा , अगर गलती से जो आज बहुतायत में हो रहा है ...इन पदों में निष्ठां हीन , दलीय स्वार्थों में लिप्त , स्वार्थी , घमंडी, भ्रष्टाचार में आनंदित आएंगे तो वही द्रश्य होगा जो आज है |
देश में कितने ही आन्दोलन हो जाँय ,कितने ही जय प्रकाश और अन्ना आ जाँय जब तक चुनाव वैतरिणी गंदी रहेगी , कुछ न होगा ....इसको तैर कर आने वाले नेता अच्छे हों यह संभव न होगा , इसी तरह के घोटालेबाज आएंगे जो हमारे लोकतंत्र को इसी तरह का बना देंगे जैसा आज है |तब न गाँधी आएंगे और न पटेल आएंगे आएंगे तो बस ....
चुनाव प्रणाली को बदलने के लिए राजनैतिक दल भला क्यों तैयार होंगे ? उनके जैसों के लिए स्वर्ग तो इसी व्यवस्था में है ... नरक में तो देश और जनता होती है |
इसलिए अगर इस देश को सरदार पटेल का देश चाहिए तो हमें ऐसी चुनाव प्रणाली विकसित करनी पड़ेगी जो चुन कर सरदार पटेल भेजे , गाँधी भेजे नहीं तो रावण ,सूर्पनखा भेजने की प्रणालियों से तो देश ऊब चूका है बस अब घड़ा भरना बाकी है |
सरदार पटेल जयंती के अवसर पर आईये हम सब व्रत लें की चुनाव सुधार का आन्दोलन तब तक चलायें जब तक चुनाव सुधार लागू न हो जांए | तब हमें नेताओं के रूप में निश्चित ही सरदार मिलेंगे , सुभाष मिलेंगे , गाँधी , आंबेडकर मिलेंगे |
रविवार, 30 अक्टूबर 2011
PATEL TIMES: LAUH PURUSH SARDAR PATEL JAYANTI
LAUH PURUSH SARDAR PATEL JAYANTI
लौह पुरुष सरदार पटेल
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३१ अक्तूबर को उस लौहपुरुष सरदार पटेल ,जो विश्व पटल पर अपना कोई शानी नहीं रखता , की जयंती सम्पूर्ण राष्ट्र मनायेगा | विभिन्न कार्यक्रमों में उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला जायेगा |
यहाँ मैं दो बिन्दुओं से चर्चा आरम्भ करना चाहूँगा .....एक उनपर कहूँगा जो सरदार पटेल के बाद उनपर चर्चा करना ही बंद कर चुके थे १९४७ से आज तक , वे आज भी या तो चर्चा नहीं कर रहे हैं या फिर मजबूरी में ही अब उनका नाम लेने को विवश हैं ...क्योंकि अब उनकी तरकश में कोई तीर चलाने के लिए नहीं बचा है |
दो ...उनपर जो चर्चा तो करते आ रहे हैं परन्तु केवल इतहास का रोना भर रो कर अपने वक्तव्यों,भाषणों की इतिश्री कर लेते रहे हैं |ये लोग भी राष्ट्र के मन मष्तिष्क को झकझोरने में नाकामयाब रहे हैं | इनके कार्यकलाप और संवाद कभी भी राष्ट्र की मुख्यधारा में नहीं आ पाए और न ही ये सरदार पटेल को राष्ट्र के लिए अपरिहार्य की स्थिति में ही ला सके | फलतः ये स्वयं नेपथ्य में तो रहे ही ,सरदार को भी नेपथ्य से बाहर नहीं ला सके , राष्ट्र फलस्वरूप सरदार की सेवाओं से ,उनके आदर्शों से , उनकी नीतिओं से वंचित ही रहा |
सर्वप्रथम उन पर ही चर्चा कर लें जिन्होंने सरदार पर चर्चा ही नहीं की और न ही करने दी | सरदार पटेल के स्वर्ग्वाश के बाद उनकी समाधी के लिए दो गज जमीन राजधानी दिल्ली में न देने वाले भारत की सत्ता में काबिज हो गए | प्रधान मंत्री पद के लिए जिसे जनता ने चुना वह सरदार प्रधान मंत्री न बनसका और जोड़तोड़ वाले प्रधान मंत्री उनके जीते जी बन गए ,फिर उनके जाने के बाद तो गद्दी में उन्ही को बैठना ही था , जो उनका नाम भूल कर भी नहीं लेते थे |
सरदार पटेल अप्रासांगिक बना दिए गए ,सरदार की नीतियां , द्रह्ड़ता , राष्ट्रवाद एक किनारे और पंचशील ,भारीउद्योग, गुटनिरपेक्षता ,विश्वनेत्रत्व अदि कथित आदर्शवाद देश में थोपे गए | आज भी यही सब कम ज्यादा हो रहा है | केंद्र में सरकारें जिन नीतिओं पर ४७ से चल रही हैं उनसे ही राष्ट्र के क्षरण की नींव पड़ रही है | गंभीर चिंता और चिंतन का विषय है |
दूसरे वे लोग और उनके विचार जो हलके फुल्के अंदाज़ में अपनी बात कह कर , जयंती मना कर अपना फ़र्ज़ पूरा करते रहे |वे सत्ता और संसाधनों से दूरी के कारण भारत पर अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाए | वे इतिहास का रोना रोते रहे , कुछ लोग रोने में उनका साथ देते रहे तो कुछ लोग उनकी ठिठोली करते रहे | ले दे कर सरदार पटेल ३१ अक्टूबर की जयंती तक या मूर्तियों तक सीमित हो कर रह गए |
आज जब राष्ट्र लगातार आतंकवादियों से जूझते ,जूझते थक रहा है ,संसद का हमलावर मौज से छाती में मूंग दल रहा है , कसाब हम पर हंस रहा है , अफजल गुरु हमारा गुरु बन गया है ...देश के राज्य राष्ट्रीय अस्मिता पर हमला करने वालों ,प्रधानमंत्री की हत्या करने वालों को माफ़ी के प्रस्ताव पास कर रहे हों ....हम हरे हुए खिलाडी की तरह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं की अब सरदार पटेल से दूरी से काम न चलेगा ....अन्यथा वह दिन ही दूर नहीं जब राष्ट्र ही न बचे तब .....भयानक यक्ष प्रश्न ......
भ्रष्टाचार वह दूसरा मुद्दा है जिससे यह राष्ट्र न केवल आंदोलित है अपितु आकंठ डूबा हुआ कराह रहा है | यहाँ भी सरदार पटेल ही उत्तर नज़र आते हैं ....पटेल के राश्ते चलने वाले नेता वह सब कर ही नहीं सकते थे जो ४७ से आज तक देश में ये करते आये हैं |
राष्ट्रीय एकता और अखंडता आज तार तार हो रही है , आतंकवाद चरम पर है , भ्रष्टाचार शीर्ष पर.........तब पटेल याद ही नहीं आएंगे अपितु अब उनके अलावा कोई रास्ता ही नहीं बचता |
राष्ट्र जिस चौराहे पर वर्षों से खड़ा है उससे बस सफलता का , राष्ट्र निर्माण का एक ही रास्ता जाता है और वह है ....सरदार का रास्ता ...पटेल का रास्ता | राष्ट्र की सारी समस्याओं के तालों की एक ही चाभी है ...सरदार पटेल | आईये हम उनकी जयंती पर प्रतिज्ञां करें की देश के एक एक बच्चे को अब पटेल की नीतिओं पर चलाएंगे एक एक बच्चे को सरदार पटेल बनांयेंगे|
जयहिंद , जय पटेल |
पटेल राज कुमार सचान 'होरी'
कुर्मी और अन्य कृषक समाजों की आर्थिक उन्नति ....
आज २०११ में भी देश में कुर्मी ,कुर्मिक्षत्रिय , पटेल आदि आदि लगभग १४०० उपजातियों में बटी यह जाति पूर्ण रूप से ग्रामीण है | ९९% जनसँख्या ग्रामों में रहती है , इसका शहरीकरण न होने के कारण इसमें अन्य जातियों की तुलना में बेरोजगारी और गरीबी अधिक है |
अचल संपत्ति से सदियों से जुड़े होने के कारण इसका चरित्र भी अचल है , आपस में लड़ना , एक दुसरे की बुराई करना ,कभी भी अपने लोगों की प्रशंसा न करना ....इसके जातीय लक्षण हैं |
ग्रामों में बसे होने के कारण यह जाति बौद्धिक क्रियाकलापों से भी दूर रही |साहित्य ,लेखन तथा अन्य कलाओं में इसका योगदान शून्य है |
धर्म ,दर्शन, इतिहास तथा अन्य विषयों में इस जाति के द्वारा पुस्तकें न के बराबर लिखी गयीं | साहित्य में भागीदारी लगभघ शून्य |
आईये महासंघ के शहरीकरण के अभियान को सब मिल कर सफल बनाएं |अपने अपने परिचितों को शहरों में तो बसायें ही ,अन्य लोगों को भी जागरूक करें |
"सत्ता और साहित्य में भागीदारी " महासंघ का आन्दोलन है ,आईये आगे बढ़ें इक्कीसवीं सदी को पटेलों की सदी बनायें
आज भी कुर्मी समाज की ९९% जनसँख्या ग्रामों में रहती है और खेती करती है |खेती में किसानों से पूछिए लागत अधिक आय कम |गेहूं और धान उत्पादक की हालत तो अत्यधिक बेहाल है | गांवों का तो विकास हुआ है पर किसानों का नहीं , किसान दिन प्रतिदिन और गरीब होता जा रहा है |आज गेहूं की लागत प्रति कुंतल १८०० रूपये आती है और सरकारी मूल्य ११२०+५० मात्र प्रति कुंतल | इसी प्रकार धान की स्थिति है |दोनों मुख्या फसलों में जबरदस्त घाटा| किसान ...मुख्यतः कुर्मी गरीब तो होगा ही |
महा संघ किसानों .कुर्मियों और राष्ट्र की उन्नति के लिए शासन के अनुसार लाभदायक खेती के लिए आन्दोलन चला रहा है | किसानों को चाहिए की वे मात्र परिवार की आवश्यकताओं के लिए ही गेहूं और धान बोयें ,शेष में सब्जियों , फूलों ,औषधीय पौधों ,आदि लाभदायक खेती करें |अपनी मेड़ों में सागौन और उकिलिप्तास के पेड़ लगायें | सागौन का एक पेड़ आज की कीमतों में २० वर्षों में ३० से ४० हजार रूपये तक हो जाता है | यानि १०० पेड़ लगभग ३० से ४० लाख तक ....और १००० पेड़ ३ से ४ करोड़ रूपये तक |इस आय की कल्पना किसान की कई पीढियां मिलकर भी नहीं कर सकतीं | उकिलिप्तास का भी एक पेड़ ५ से ६ साल में २ से ३ हजार तक हो जाता है | मेड़ों में इन दोनों पेड़ों को मिक्स कर लगाना चाहिए |
खेती में लाभदायी उत्पादन के साथ किसानों को पास के कस्बों में व्यापारों की ओर भी ध्यान देना चाहिए , परिवार के कम से कम एक सदस्य को नगरीय रोजगार जो विशेष कर कृषि से सम्बंधित हो करना चाहिए | इन सबसे आर्थिक विकास होगा और जब ८०% आबादी खुशहाल होगी तो देश खुशहाल होगा |
कुर्मियों की आबादी आज भी गांवों में है , १% से भी कम नगरों में है | शहरीकरण न होने से भी यह समाज पिछड़ा है ....आर्थिक और राजनीतिक दोनों रूप से |
महा संघ का नारा है ........." सत्ता और साहित्य में भागीदारी " इसके लिए भी शहरीकरण जरूरी है , राजनीतिकरण जरूरी है |समाज में जो युवक आगे नहीं बढ़ पाते और नौकरी नहीं पाते वे ही अच्छे नेता बन सकते हैं ,समाज के काम आ सकते हैं | हमें उन्हें आगे बढ़ाना होगा , भर्त्सना करने की आदत छोडनी होगी |वे ही शिवा जी और सरदार पटेल के रास्तों में चल सकते हैं | महा संघ उन सबको सपोर्ट करता है|
साहित्य में भागीदारी से सदियों से ब्राह्मन समाज सबसे आगे रहा है ...आईये अधिक से अधिक पत्रकार साहित्यकार ...कवि और लेखक बनें |
सर्वांगीन विकास के लिए हम आप के साथ हैं |
शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2011
भैया दूज मुबारक ***************** भाई की उन्नति , प्रगति के लिए , उसके स्वास्थ्य की कामना लिए , बहन करती है रोचना ,लगाती है टीका ..भाई के माथ | ताकि वह रहे हर पल भाई के साथ , सुख में , दुःख में .....पल पल ,हर पल साथ साथ जीवन भर | राज कुमार सचान 'होरी'
भैया दूज मुबारक
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भाई की उन्नति , प्रगति के लिए ,
उसके स्वास्थ्य की कामना लिए ,
बहन करती है रोचना ,लगाती है टीका ..भाई के माथ |
ताकि वह रहे हर पल भाई के साथ ,
सुख में , दुःख में .....पल पल ,हर पल साथ साथ
जीवन भर |
राज कुमार सचान 'होरी'
गुरुवार, 27 अक्टूबर 2011
KURMI SAMAJ ME UTTSAH
कुर्मी समाज में उत्साह
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कुर्मिक्षत्रिय महा संघ के सामाजिक सुधारों , आर्थिक सुधारों , राजनैतिक जागरूकता और साहित्यिक जागरूकता के आंदोलनों से समाज में जबरदस्त जागरूकता और उत्साह है | देश के विभिन्न प्रान्तों में लोग महा संघ से जुड़ रहे हैं | उत्तर प्रदेश में तो संघ की आंधी सी आई हुयी है , ग्रामों से लेकर शहरों तक |
अब लगता है कि समाज जग गया है , आने वाले चुनाव में कुर्मी समाज अधिक से अधिक अपने प्रतिनिधि अवश्य भेजेगा | जहां से कुर्मी समाज का प्रतिनिधि नहीं है वहाँ भी उसको अपना मत देगा जो समाज के लिए ५ वर्षों तक काम करे | ऐसे दलों को जो समाज का वोट बांटने का काम करते आ रहे हैं , को इस बार सबक सिखाएगा | करोड़ों रूपये इन छोटे छोटे दलों ने समाज को बेच कर कमाए हैं उनसे समाज को हिसाब किताब पूरा करना है | उनके समाज के ठेकेदारों से कह दो कि वे अब हमारा वोट न बेचें , अब समाज को सत्ता चाहिए .......सिर्फ सत्ता |
महासंघ के सत्ता और साहित्य के नारे से हम जाग चुके हैं , हम उन दलों में जायेंगे जो हमें सत्ता में भागीदारी दें , इससे कम कुछ भी स्वीकार नहीं |
महा संघ से २५ से अधिक देशों के समाज के बंधू जुड़े हैं जो लगातार ब्लाग और वेब साईट से सम्बद्ध हैं , उनका सहयोग और सझाव प्राप्त है |
महा संघ उत्तर प्रदेश में एक विशाल रैली आयोजित करेगा जिसमें मुख्य अतिथि के रूप क्षत्रपति शिवाजी के वंशज भाग लेंगे | इस रैली के संयोजन का कार्य उत्तर प्रदेश इकाई जोर शोर से कररही है | सभी को तिथि निश्चित होते ही सूचना दी जाएगी |
जय पटेल |
बुधवार, 26 अक्टूबर 2011
आयिये अब राष्ट्र में, दीप ऐसा हम जलाएं| मन के आँगन में बसे , हर घोर तम को हम भगाएं || रोलियां हर द्वार पर , आयिये हम मिल सजा दें , दीप के इस पर्व को हम, दीप उत्सव फिर मनाएं || राज कुमार सचान 'होरी'
BARAABARI RASHTRIYATAA KE LIYE
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जातियां कैसे मिटें ? लम्बवत संरचना से या क्षैतिज संरचना से ....वास्तव में देश में जातियों का ढांचा सदा ही उर्ध्वाधर रहा है , इसी कारण आपस में बराबरी न होने के कारण जातियों में आपसी तालमेल और रोटी बेटी के संबंधों का घोर अभाव है |
मंगलवार, 25 अक्टूबर 2011
HAPPY DEEWALI
TERRORISM IN INDIA CAN BE WIPED OUT ONLY AND ONLY IF NATION FOLLOWS THE PATH OF PATEL. LET US UNITE FOR THE CAUSE OF NATIONALISM.
HAPPY DEEWALI
सोमवार, 24 अक्टूबर 2011
दीवाली में सीखिए------
दीवाली में सीखिए ,दीप दीप से स्नेह |
'होरी' अन्दर बाहरी , सजें सभी के गेह ||
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लक्ष्मी जी को पूजिए , कर गणेश का ध्यान |
'होरी' दीपक पर्व में , खुशियाँ मिलें सचान ||
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दीपमालिका में सजें , लक्ष्मी और गणेश |
'होरी' हर कर तम सभी , हरें विघ्न औ क्लेश ||
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राज कुमार सचान 'होरी'
रविवार, 23 अक्टूबर 2011
deewali dohe
शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2011
urbanisations
kurmis ! come in cities to develop.
बुधवार, 19 अक्टूबर 2011
KISANON AUR KURMIYON KA VIKAS
मंगलवार, 18 अक्टूबर 2011
PATEL TIMES: gehoon dhaan chhodo
gehoon dhaan chhodo
मंगलवार, 4 अक्टूबर 2011
कार्यकर्ता सम्मेलन सम्पन्न
लखनऊ। अखिल भारतीय कूर्मि क्षत्रिय महासंघ का प्रदेषिक कार्यकर्ता सम्मेलन राजधानी स्थित रामाधीन सिंह डिग्री कालेज के उत्सव भवन के षिवाजी हाल में सम्पन्न हुआ। जिसमें महासंघ के राष्ट्रीय एवं प्रदेष पदाधिकारियों सहित विभिन्न जनपदों से आये जिलाध्यक्षों नें भाग लिया। सम्मेलन में ‘सत्ता और साहित्य’ मंे भागीदारी विशय पर वक्ताओं ने अपने-अपने विचार रखे।कार्यकर्ता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय कूर्मि क्षत्रिय महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पटेल राजकुमार सचान ने कहा कि कूर्मि क्षत्रिय समाज में व्यापक जागरुकता लाये जाने की जरूरत है। समाजोस्थान के लिये खासकर सामाजिक युवाओं को राजनीतिक जागरुकता के अलावा साहित्य के क्षेत्र मंे बढ़-चढ़ कर भागीदारी निभानी होगी।
श्री सचान ने कहा कि बड़े ही दुख का विशय है कि कूर्मि क्षत्रिय समाज में पत्रकारों, कवियों लेखको की संख्या नगण्य है यही वजह है कि आर्थिक सम्पन्नता एवं खासीजनसंख्या के बावजूद आज तक हमारा समाज सबसे पिछड़ी पंक्ति में खड़ा है। उन्होंने कहा कि पिछड़पन की एक वजह ष्षहरीकरण से दूर रहना भी है श्री सचान ने कहा कि अभी भी अट्ठान्नबे फीसदी समाज के गांव मंे खेती को आधार बनाये हुए हैं और गॉव तक सीमित रहकर न खुद का विकास कर पा रहे हैं न ही समाज का उन्होंने कहा कि गॉव से षहर की ओर रूख करना ही होगा उन्होंने समाज के लोगों से खेती में व्यवसायिक खेती, व मेढ़ों पर सागौन और यकेलिप्टस के पेड़ों के लगाये जाने पर जोर दिया साथ ही उपस्थित कार्यकर्ताओं को बकरी पालन करने की सलाह दी।
श्री सचान ने जिलाध्यक्षों का आह्वाहन करते हुए प्रत्येक जिले में साल मंे एक बार युवक-युवती परिचय सम्मेलन व कवि सम्मेलन आयोजित करने के निर्देष दिये कार्यक्रम का सफल संचालन प्रसिद्ध कवि षिवकुमार व्यास एवं अध्यक्षता महासंघ के प्रदेष अध्यक्ष डॉ0विजय पटेल ने की सम्मेलन को अषोक पटेल प्रदेष महासचिव राष्ट्रीय महासचिव तरुण पटेल पूर्व विधायक रामदेव पटेल चौ0 विश्राम सिंह रोषन लाल गंगवार सहित कई पदाधिकारियों ने सम्बोधित किया। प्रदेष संरक्षक सूर्यकुमार वर्मा ने उपस्थितजनों का आभार व्यक्त किया एवं राष्ट्रीय संरक्षक हरिपाल सिंह ने स्वागत किया।साथ ही आगामी 31अक्टूबर को लौहपुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल जयंती धूम-धाम के साथ मनाये जाने का निर्णय लेते हुए कार्यक्रम समापन की घोशणा की गई।
रविवार, 2 अक्टूबर 2011
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