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शनिवार, 26 नवंबर 2011

26/11: दिल दहला ,वक्त बदला, हालात नहीं

taz मुंबई पर 26/11 को दिल दहला देने वाले हमले को हुए 3 साल बीत चुके हैं। इस दौरान केंद्र और राज्य सरकारों ने सुरक्षा पुख्ता करने के लिए कथित रूप से बड़े कदम उठाए हैं। लेकिन हकीकत यह है कि आज भी तटवर्ती सुरक्षा चाक-चौबंद नहीं है यह हम नहीं बल्कि मुंबई हमले के बाद हुई गतिविधियाँ बता रही हैं पिछले दिनों मुंबई के जुहू तट पर 2 लावारिस जहाज लंबे वक्त तक फंसे रहे। ये अपने आप तट पर पहुंच गए,लेकिन सुरक्षा एजेंसियों को पता नहीं चल पाया। इस अवधि में सोमालियाई समुद्री डाकू भी भारतीय सीमा में घुस आए। दो बार तो उन्हें गुजरात से गिरफ्तार किया गया। इस तरह के कई मामले इस अवधि में सामने आए हैं।तटवर्ती सुरक्षा में आज भी ज्यादा बदलाव नहीं आया है।

 

 
मालूम हो की हमलावर समुद्र के रास्ते ही मुंबई पहुंचे थे। दावा किया गया था कि भारत की 7516 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। कोस्ट गार्ड और नौसेना के अलावा गृहमंत्रालय ने एक अलग योजना का ऐलान किया था। इसके तहत 9 तटवर्ती राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों में 100 से भी ज्यादा तटवर्ती थाने खोले जाएंगे। इन्हें 214 आधुनिक गश्ती नौकाएं दी जाएंगी। जीपें और मोटरसाइकिलें भी दी जाएंगी। मुंबई हमले के बाद केंद्र ने पोटा की जगह नया कानून - गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) बनाया। साथ ही एनआईए का गठन किया। इसका गठन आतंकवाद से निपटने के मकसद से किया गया था। हालांकि वह 26/11 मामले की जांच नहीं कर रही है, लेकिन देश भर में आतंकवाद से जुड़े 34 मामले उसके पास हैं। डेविड हेडली से संबंधित मामले की जांच उसके ही पास है। कुछ मामलों में एनआईए ने आरोप-पत्र भी दाखिल किए हैं।
गौरतलब तो यह है की सरकार 3 साल बाद भी एनआईए को एक कार्यालय मुहैया नहीं करवा पाई है। आज भी एजेंसी का मुख्यालय एक निजी बिल्डिंग में चल रहा है।

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