होरी कहिन
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१--
होरी लघु तो थामिये , बड़े न दीजै डार ।
वहाँ करेगी क्या सुई, जहाँ काम तलवार ।।
जहाँ काम तलवार , वहाँ नाकाम सुई हों ।
किन युद्धों में सुइयाँ ,लडने कहो गई हों ।।
लघु के साथ बड़ों से नाता ,बहुत ज़रूरी ।
तभी मिलेगी तुम्हें सफलता ,भाई होरी ।।
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२--
दिल्ली में तुग़लक़ हुये,दिल्ली का सौभाग्य ।
बाक़ी क्षेत्र दुखी हुये , रोते हैं दुर्भाग्य ।।
रोते हैं दुर्भाग्य, मनायें , आयें तुग़लक़ ।
ख़ुश ख़ुश हैं पंजाब क्षेत्र के ,सारे उजबक ।।
मफ़लर राजा ख़ुश ही रहते,भले उड़ाओ खिल्ली ।
होरी इसको कहते हैं , दिल वालों की दिल्ली ।।
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३--
कारों की बिक्री बढ़ी ,आड इवेन के फेर ।
दिल्ली सारी पट गई , विज्ञापन के ढेर ।।
विज्ञापन के ढेर , 'आप' के द्वारे द्वारे ।
दिल्ली वाले फिरते हैं बस , मारे मारे ।।
वायु प्रदूषण , विज्ञापन का ,बढ़ा प्रदूषण ।
होरी दिल्ली वालों का तो , अब भी शोषण ।।
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राजकुमार सचान होरी
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