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रविवार, 24 अप्रैल 2016

होरी कहिन २४/४/१६

होरी कहिन 

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देखो   उत्तराखंड  में ,  उलझे   बड़े    सवाल

नेता   खड़े   पहाड़ में ,  करते  बड़े   बवाल ।।

करते बड़े बवाल , बाल की   खाल   निकालें।

मित्र शत्रु  सब इक दूजे  को,गलबहिंयां डालें।।

पत्रकार क्या लिख सकता है,इससे बढ़िया लेख।

राजनीति का खेल घिनौना ,चल पहाड़ पर देख ।।

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साम्प्रदायिक  हो गया , हिन्दू  कहना आज

यही  देन है  देश  को , कांग्रेस   के  राज  ।।

कांग्रेस  के राज , हिन्दुओं  की   अनदेखी

धर्मनिरपेक्ष  मारते  , लेकिन  पूरी  शेखी ।।

सभी रहें मिल बाँट कर,बढे देश का काज

अपने अपने धर्म संग ,करो देश पर नाज ।।

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चाहे  जितना भी  करे , तुष्टीकरण   समाज

होरी  स्थायी   नहीं , इससे    बनते  काज ।।

इससे  बनते  काज , सदा  बस थोथे   होते

तुष्टीकरण  बीज  ,सदा  नाहक  हम  बोते ।।

आज ज़रूरत हम सबका रखें मात्र बस ख़्याल

होरी तुष्टीकरण नीति तो ,अपने आप बवाल ।।

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आओ  बनें   करोड़पति , मेरे मित्र  किसान

मत्स्य ,वृक्ष,पशु,कैश की, खेती करें सचान।।

खेती   करें   सचान , टीक  के  बाग़ लगायें

यूकीलिप्टस  मेड ,खेत   में,  कहीं  लगायें ।।

पशुपालन,मछलीपालन की करिये शुरुआत।

मिटे  ग़रीबी ,बढे  अमीरी ,बन  जायेगी बात ।।

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आरक्षण  के  जन्म का , जाति   बनी  आधार

अगर  जाति मिट   जाय तो, आरक्षण बेकार ।।

आरक्षण बेकार,व्यर्थ हो जाति अगर मिट जाये।

भारत  तब एकता सूत्र में,रातदिवस बँध जाये ।।

हम करें बहुमुखी उन्नति,मिल मिल कर इस भाँति।

होरी   पहले   आवश्यक   है,  आओ   मेंटें   जाति ।।

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राजकुमार सचान होरी 

www.horionline.blogspot.com




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