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मंगलवार, 5 अप्रैल 2016

होरी के दोहे

होरी के दोहे 

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जब तक धर्मों की नहीं ,मैंने चखी अफ़ीम

मेरे  लिये  समान  थे , दोनों  राम   रहीम ।।

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लक्ष्मण रेखा को कहीं, कभी करिये पार।

उधर दशानन  राज है,  इधर राम दरबार ।।

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राजकुमार सचान होरी 

www.horionline.blogspot.com



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