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गुरुवार, 28 जनवरी 2016

होरी कहिन

                      होरी कहिन 

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धर्म निरपेक्षता अर्थ अब ,हिन्दू का अपमान

गाली   बकिये  बस इन्हें , औरों को सम्मान ।।

दूजे   को सम्मान    दीजिये, बुरा     नहीं   है

अपनों   का अपमान  मगर   हाँ सही  नहीं है ।।

धर्मनिरपेक्षता रोयेगी फिर एक समय आयेगा

भारत में जब हिन्दू ही ,अल्पसंख्यक हो जायेगा ।।

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हैं किसान   पीड़ित यहाँ , पीड़ित   यहाँ  जवान

बस जय जय के फेर में , फँस कर  दोउ सचान।।

फँस   कर  दोउ सचान , ज़िन्दगी   पूर्ण  खपाते

सीमा   रक्षा   साथ    साथ , सोना     उपजाते ।।

जय जवान हो,जय किसान हो,मात्र दिखावा करते

होरी   जूँ भी   नहीं   रेंगती , जब  वे पीड़ित मरते ।।

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लागत खेती में अधिक , आमदनी   कम हेय

खेती में पल पल गले , रात   दिवस वह रोय ।।

रात दिवस वह रोय , किसानी उसकी   फांसी 

उसकी आत्महत्या ,शिकन  हमें  ज़रा  सी ।।

आज अन्नदाता  को देखो,लिये  कटोरा मागत

होरीअभी समय खेती की,कम करियेकुछलागत ।।

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ज्वार  बाजरा  या कि  हों ,चाहे  गेहूँ   धान

घाटे की  खेती  सभी ,करिये   बन्द  सचान ।।

करिये बन्द सचान , करें  औद्यानिक  खेती

टीक ,  बाँस , यूकीलिप्टस   ,भी पैसे  देतीं ।।

या खेतों को  बेच कर , क़स्बों  में रह  यार

होरी व्यर्थ  पुरानी  खेती , ये सब  हैं  बेकार ।।

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नब्बे  प्रतिशत से अधिक , फ़ौजों  में ग्रामीण

होरी तब भी शहर सब , इनको  समझें  हीन ।।

इनको समझें  हीन , भले  यह  हों  बलिदानी

सीमा पर   वे लड़ें   और ,हम    भरते   पानी ।।

किसान  जवान सभी गाँवों से,करें  देश सेवा

होरी लेकिन सुविधा भोगी , शहरी खायें  मेवा ।।

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राजकुमार सचान होरी 

१७६ अभयखण्ड - इंदिरापुरम , गाजियाबाद 

९९५८७८८६९९ व्हाट्स एप 

horirajkumar@gmail.com





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