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रविवार, 24 जनवरी 2016

अन्नदाता का सम्मान ??

अन्नदाता का सम्मान 

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'अन्नदाता'  कह ,किसान का ,हम सम्मान  बढ़ाते हैं

जय किसान का नारा भी तो ,शास्त्री जी गढ़ जाते हैं ।।

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चलो एक किसान होरी संग ,एक कचेहरी साथ चलें

वही पुरानी  धोती कुर्ता ,चप्पल अब भी   साथ मिलें ।।

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उसके   खेतों मे दबंग ने ,क़ब्ज़ा   किया हुआ था

एसडीएम ,डीएम  से कहने ,होरी वहाँ  गया था।।

डोल रहा  था इधर  उधर , बाबू  अर्दलियों  तक

कोर्ट कचेहरी सड़कों तक,बंगलों से गलियों तक ।।

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छोटे से  बडके  नेता तक ,चप्पल  घिस  डाली थी

दान  दक्षिणा  देते  देते   ,जेब  हुई    ख़ाली   थी ।।

दौड़ लगाता   वह किसान ,अंदर से पूर्ण हिला  था

पर उसकी ख़ुद की ज़मीन का,क़ब्ज़ा नहीं मिला था ।।

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होरी का परिवार दुखी ,पीड़ित जर्जर ,तो था ही था

रोटी सँग बोटी नुचने का ,ग़म ही ग़म तो था ही था ।।

गया जहाँ था मिला वहीं,अपमान किसान सरीखा

उसको तो  हर  सख्स, ग़ैर सा ,मुँह  फैलाये दीखा ।।

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जय किसान कहने वाले सब ,उसकी  हँसी उड़ाते

नहीं मान सम्मान ,अँगूठा  मिल सब  उसे दिखाते ।।

क़र्ज़ भुखमरी  से पहले ही ,वह अधमरा  हुआ था

लेकिन  ज़्यादा अपमानों से ,अंतस्  पूर्ण मरा था ।।

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एक दिवस वह गया खेत में , लौटा नहीं कभी भी

होरी की यह कथा गाँव में ,कहते  सभी  अभी भी ।।

होरी किसान  की अंत कथा ,दूजा होरी  बतलाये

फिर से   आँधी तूफ़ानों सँग , काले  बादल छाये ।।

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          राज कुमार सचान होरी 

       १७६ अभयखण्ड - इंदिरापुरम , गाजियाबाद 

9958788699








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