होरी कहिन
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१--
ममता का तुष्टीकरण ,या नीतीश का राग ।
कलियाचक या पूर्णियाँ ,लगा रहे हैं आग ।।
लगा रहे हैं आग , जलाया थाना और दुकानें ।
किये भीड़ ने काम ,भयानक औ' मनमाने ।।
त्रस्त और भयभीत ,वहाँ पर हिन्दू जनता ।
वोट बैंक की ख़ातिर लालू या फिर ममता ।।
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२--
पठानकोट या मुम्बई , सब में एक समान ।
साक्ष्य कोई माने नहीं , वाह रे पाकिस्तान ।।
वाह रे पाकिस्तान , करे पूरी मनमानी ।
आतंकी में नहीं , कहीं भी उसका सानी ।।
बार बार आक्रमण , कर रहे पाकिस्तानी ।
होरी लगता बचा नहीं है , हम में पानी ।।
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३--
जाति जाति में बँट गया ,पूरा हिन्द समाज ।
राष्ट्र क्षरण होता रहा , मगर न चेतें आज ।।
मगर न चेतें आज , जातियों के फन्दे हैं ।
ऊँच नीच में बँटे , अभी सारे बन्दे हैं ।।
जातिवाद में बँटे राष्ट्र की ,हार सुनिश्चित ।
होरी क्षरण राष्ट्र होता ,मुझको परिलक्षित ।।
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४--
चलो मिटायें जातियाँ , राष्ट्रवाद के हेतु ।
जाति जाति में बाँध दें, चलो प्यार के सेतु ।।
चलो प्यार के सेतु , जातियों में बनवा दें ।
ऊँच नीच के भेद जातियों ,के मिटवा दें ।।
अगर जातियाँ मिटी नहीं ,तो हाथ मलो ।
होरी इन्हें मिटाने , अब तो साथ चलो ।।
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राज कुमार सचान होरी
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