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रविवार, 31 जनवरी 2016
गुरुवार, 28 जनवरी 2016
होरी कहिन
होरी कहिन
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१--
धर्म निरपेक्षता अर्थ अब ,हिन्दू का अपमान ।
गाली बकिये बस इन्हें , औरों को सम्मान ।।
दूजे को सम्मान दीजिये, बुरा नहीं है ।
अपनों का अपमान मगर हाँ सही नहीं है ।।
धर्मनिरपेक्षता रोयेगी फिर एक समय आयेगा ।
भारत में जब हिन्दू ही ,अल्पसंख्यक हो जायेगा ।।
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२--
हैं किसान पीड़ित यहाँ , पीड़ित यहाँ जवान ।
बस जय जय के फेर में , फँस कर दोउ सचान।।
फँस कर दोउ सचान , ज़िन्दगी पूर्ण खपाते ।
सीमा रक्षा साथ साथ , सोना उपजाते ।।
जय जवान हो,जय किसान हो,मात्र दिखावा करते ।
होरी जूँ भी नहीं रेंगती , जब वे पीड़ित मरते ।।
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३--
लागत खेती में अधिक , आमदनी कम हेय ।
खेती में पल पल गले , रात दिवस वह रोय ।।
रात दिवस वह रोय , किसानी उसकी फांसी
उसकी आत्महत्या ,शिकन न हमें ज़रा सी ।।
आज अन्नदाता को देखो,लिये कटोरा मागत ।
होरीअभी समय खेती की,कम करियेकुछलागत ।।
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४--
ज्वार बाजरा या कि हों ,चाहे गेहूँ धान ।
घाटे की खेती सभी ,करिये बन्द सचान ।।
करिये बन्द सचान , करें औद्यानिक खेती ।
टीक , बाँस , यूकीलिप्टस ,भी पैसे देतीं ।।
या खेतों को बेच कर , क़स्बों में रह यार ।
होरी व्यर्थ पुरानी खेती , ये सब हैं बेकार ।।
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५--
नब्बे प्रतिशत से अधिक , फ़ौजों में ग्रामीण ।
होरी तब भी शहर सब , इनको समझें हीन ।।
इनको समझें हीन , भले यह हों बलिदानी ।
सीमा पर वे लड़ें और ,हम भरते पानी ।।
किसान जवान सभी गाँवों से,करें देश सेवा ।
होरी लेकिन सुविधा भोगी , शहरी खायें मेवा ।।
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राजकुमार सचान होरी
१७६ अभयखण्ड -१ इंदिरापुरम , गाजियाबाद
९९५८७८८६९९ व्हाट्स एप
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बुधवार, 27 जनवरी 2016Fwd: "होरी कहिन "Sent from my iPad Begin forwarded message:
रविवार, 24 जनवरी 2016अन्नदाता का सम्मान ??अन्नदाता का सम्मान ----------------- 'अन्नदाता' कह ,किसान का ,हम सम्मान बढ़ाते हैं । जय किसान का नारा भी तो ,शास्त्री जी गढ़ जाते हैं ।। --------------------------------------- चलो एक किसान होरी संग ,एक कचेहरी साथ चलें । वही पुरानी धोती कुर्ता ,चप्पल अब भी साथ मिलें ।। ------------------------------------- उसके खेतों मे दबंग ने ,क़ब्ज़ा किया हुआ था । एसडीएम ,डीएम से कहने ,होरी वहाँ गया था।। डोल रहा था इधर उधर , बाबू अर्दलियों तक । कोर्ट कचेहरी सड़कों तक,बंगलों से गलियों तक ।। ------------------------------------- छोटे से बडके नेता तक ,चप्पल घिस डाली थी । दान दक्षिणा देते देते ,जेब हुई ख़ाली थी ।। दौड़ लगाता वह किसान ,अंदर से पूर्ण हिला था । पर उसकी ख़ुद की ज़मीन का,क़ब्ज़ा नहीं मिला था ।। ---------------------------------------- होरी का परिवार दुखी ,पीड़ित जर्जर ,तो था ही था । रोटी सँग बोटी नुचने का ,ग़म ही ग़म तो था ही था ।। गया जहाँ था मिला वहीं,अपमान किसान सरीखा । उसको तो हर सख्स, ग़ैर सा ,मुँह फैलाये दीखा ।। ---------------------------------------- जय किसान कहने वाले सब ,उसकी हँसी उड़ाते । नहीं मान सम्मान ,अँगूठा मिल सब उसे दिखाते ।। क़र्ज़ भुखमरी से पहले ही ,वह अधमरा हुआ था । लेकिन ज़्यादा अपमानों से ,अंतस् पूर्ण मरा था ।। ----------------------------------- एक दिवस वह गया खेत में , लौटा नहीं कभी भी । होरी की यह कथा गाँव में ,कहते सभी अभी भी ।। होरी किसान की अंत कथा ,दूजा होरी बतलाये । फिर से आँधी तूफ़ानों सँग , काले बादल छाये ।। ------------------------------------- राज कुमार सचान होरी १७६ अभयखण्ड -१ इंदिरापुरम , गाजियाबाद 9958788699 Sent from my iPad शुक्रवार, 15 जनवरी 2016पठान कोट आक्रमणपठानकोट का आक्रमण आतंकियों को आगे रख कर पाक सेना का ही अप्रत्यक्ष आक्रमण था , पूर्व की भाँति । छापामार युद्ध के ज़रिये भारत को हज़ार घाव देने की नीति का हिस्सा । जिस तरह की हमारी कमज़ोरियाँ हैं , बिके हुये लोग हैं , भितरघाती हैं हम पर आक्रमण होते रहेंगे ।घर मज़बूत नहीं तो यही होगा ।
होरी राजकुमार सचान
१५ जनवरी
मंगलवार, 12 जनवरी 2016होरी कहिन
होरी कहिन
------------ १-- ममता का तुष्टीकरण ,या नीतीश का राग । कलियाचक या पूर्णियाँ ,लगा रहे हैं आग ।। लगा रहे हैं आग , जलाया थाना और दुकानें । किये भीड़ ने काम ,भयानक औ' मनमाने ।। त्रस्त और भयभीत ,वहाँ पर हिन्दू जनता । वोट बैंक की ख़ातिर लालू या फिर ममता ।। ---------------------------------- २-- पठानकोट या मुम्बई , सब में एक समान । साक्ष्य कोई माने नहीं , वाह रे पाकिस्तान ।। वाह रे पाकिस्तान , करे पूरी मनमानी । आतंकी में नहीं , कहीं भी उसका सानी ।। बार बार आक्रमण , कर रहे पाकिस्तानी । होरी लगता बचा नहीं है , हम में पानी ।। --------------------------------- ३-- जाति जाति में बँट गया ,पूरा हिन्द समाज । राष्ट्र क्षरण होता रहा , मगर न चेतें आज ।। मगर न चेतें आज , जातियों के फन्दे हैं । ऊँच नीच में बँटे , अभी सारे बन्दे हैं ।। जातिवाद में बँटे राष्ट्र की ,हार सुनिश्चित । होरी क्षरण राष्ट्र होता ,मुझको परिलक्षित ।। ------------------------------ ४-- चलो मिटायें जातियाँ , राष्ट्रवाद के हेतु । जाति जाति में बाँध दें, चलो प्यार के सेतु ।। चलो प्यार के सेतु , जातियों में बनवा दें । ऊँच नीच के भेद जातियों ,के मिटवा दें ।। अगर जातियाँ मिटी नहीं ,तो हाथ मलो । होरी इन्हें मिटाने , अब तो साथ चलो ।। -------------------------------- राज कुमार सचान होरी Sent from my iPad शुक्रवार, 8 जनवरी 2016होरी कहिन
होरी कहिन
@@@@@@ १-- र् वावत कहै मरौ सरऊ । चौबीस घंटे सीना जोरी ऊटपटाँग करौ सरऊ ।। मौत से कुछौ डरौ सरऊ । आगी अइस रोज मूतत त्यौ, उइ तौ आसमान छुइ ल्याहैं, बोयो जइस भरौ सरऊ । तुम बस परे जरौ सरऊ । जूता बजिहैं दोउ ओर ते , भस्मासुर सा तुमहू होरी , बीच मा अउर परौ सरऊ । अपने हाथ बरौ सरऊ । ---------------------------------------------- २--- पत्रकार पर व्यंग्य करूँ क्यों ? चौथे खंभे दबूँ मरूँ क्यों ?? दहशतगर्द शरीर संहारें , मैं हूँ रूह अरे डरूँ क्यों ? क़र्ज़ लिया था तुमने तुमने , मैं ही सबका क़र्ज़ भरूँ क्यों ? आग लगाई थी तो जलिये, होरी मैं ही आग जरूं क्यों ? गंगा तो सबका तारे है, तुम भी तरौ मैं ही तरूं क्यों? होरी माँ की बलिवेदी पर, प्राण न्योछावर करूं डरूँ क्यों ? ------------------------ ३-- चल अंगारों पर मत डोल, हल्ला बोल, हल्ला बोल । समझा धरा गगन को मोल, हल्ला बोल , हल्ला बोल । दिखे हंस है काला कौआ , लगता है नेता है । उसकी दे तू धोती खोल , हल्ला बोल , हल्ला बोल ।। प्रजातंत्र का नाम और, शासन परिवारों का ? ढोल के भीतर भारी पोल , हल्ला बोल , हल्ला बोल ।। ------------------ राज कुमार सचान होरी Sent from my iPad गुरुवार, 7 जनवरी 2016
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