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बुधवार, 25 जून 2014

फ़ेसबुक के विद्वान (भाग-४)

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फ़ेसबुक के विद्वान ( भाग - ४)
24 June 2014 at 11:36
फ़ेसबुक के विद्वान ( भाग ४)

--------------------------------------राज कुमार सचान "होरी"
लाइक का गेम ज़मींदारों , राजाओं -महाराजाओं और नवाबों जैसे सम्मानित आदरणीयों के लिये यहाँ भी आसान है जीवन के सारे " गेमों " की तरह । एक तो प्रजा श्रेणी के फेसबुकिये इनकी आई डी ढूँढ ढूँढ कर फ़्रेंड रिक्वेष्ट भेजते हैं ,मित्र बन गये तो अहोभाग्य नहीं फ़ॉलोवर तो बन ही जाते हैं । अब आप ही बतायें कोई फ़ालोअर की हैसियत कम होती है ? बस फ़ालोअर किस हस्ती के हैं इस पर आपकी क़ीमत डिपेंड करती है ।
बड़े लोग तो एक छोटी आई डी क्या ?पूरा पेज ही खोल लेते हैं । जनता तो झक मार कर इनकी लाइक बटन दबायेगी ही और बाक़ी लाइक स्पोंसोर्ड कैटेगरी से आनी तय । अख़बारों ,दूरदर्शनों में कीर्तिमानों के साथ इनके नाम आने लगते हैं । पैसे वाले फ़ेसबुक को पेमेट करते हैं " लाइक" बढ़ाने के लिये । सर्वे गुणा: कांचनमाश्रयन्ति ।
अपना भाव बढ़ाने का एक आसान तरीक़ा यह भी है कि आप बिना देखें ,सोचे समझे हर किसी की "लाइक" बटन दबाते जाइये बदले में वह भी जिसकी बटन आप ने दबाई है वह आपकी बटन कभी न कभी दबायेगा ही । अगर फिर भी वह न दबाये तो मेसेज में जा कर उससे एक अनुरोध कर दीजिये ---' हे मित्र ! देखो मैं आपकी लाइक बटन बार बार दबा रहा हूँ आप मुझ पर दोस्ती का करम करिये ,कम से कम मेरा भी सम्मान रखिये । एक बार ही बटन दबा दीजिये ।
फ़ेसबुक में विद्वान लोग अपना स्थान उच्च का स्थापित करने के लिये एक उपाय और अपनाते हैं , मैं आपका परम हितैषी होने के नाते बता रहा हूँ --आप वीआई पी फेसबुकियों के कमेंट बाक्स में जा कर तारीफ़ के पुल बाँधा करें । वे कुछ भी लिखें , कितना भी घटिया लिखें ,आप बस तारीफ़ ही करें । आप को ज़्यादा लिखना न आता हो तो कोई बात नहीं मैं हकीम लुकमान का आज़माया नुश्खा बताये देता हूँ । हमारी फ़ीस बस इतनी कि हमें भी कुछ लाइक ठोक देना ।
आप कमेंट में लिखें ---" सुन्दर " , "अतिसुन्दर" , "वाह" "बहुत ख़ूब" " क्या कहने" " "वाउ" nice , very fine , excellent . या ऐसे चिन्ह जिन्हें फ़ेसबुक ने आपके लिये ही बनाया है उनका स्तेमाल करें ।
धीरे धीरे आप के लाइक बढ़ जायेंगे और एक दिन निश्चित ही विद्वान , सेलेब्रिटीज़ फेसबुकिये बन जायेंगे आप भी । मेरी बधाई एडवांस में ले लीजिये । वैसे फ़ेसबुक में हैं तो बधाई लेने देने की हसीन बीमारी से आप भी ग्रस्त हो ही चुके होंगे ।
एक मार्के की बात अभी से बता दूँ - जब आप उच्च श्रेणी में आ जायें तब भूल कर भी किसी की लाइक बटन न दबाइयेगा , इससे आपका स्टैंडर्ड गिरेगा । किसी की पोस्ट , फ़ोटो कितना भी पसन्द आये ख़बरदार आप उसको लाइक न करें आपका बाज़ार भाव धड़ाम से गिर जायेगा । आप ऐंठे ही रहिये । " ऐंठे रहना आपका स्थाई भाव होना चाहिये , यही असली विद्वान और सेलेब्रिटीज़ की मूल पहचान है ।
फ़ेसबुक के असली विद्वान वही हैं जो न किसी के कमेंट बाक्स में जाते हैं न लाइक दबाते हैं । हाँ ,बस हर एकाध घंटे में कोई न कोई फड़फड़ाती , तड़फड़ाती ,गरमाती -- नज़ाकत से लदी फंदी या फिर ऊटपटांग टाइप की पोस्ट फ़ेसबुक के हवाले कर देते है । लो झेलो फिर के अंदाज में ।
नई नई जिंस फ़ेसबुक मार्केट में डालने का जो बड़ा काम करते हैं ,हम उनको सलाम , राम राम , प्राणाम करते हैं ये वे ही महान आत्मायें हैं जिनकी वजह से फ़ेसबुक की "वाल" आज तक खड़ी है । ये न होते तो कब की वाल दीवाल बन कर भरभरा कर गिर जाती । ऐसे लिख्खाड़ विद्वान स्वर्गवासी हो कर भी ज़िन्दा रहेंगे ( बस फ़ेसबुक का सर्वर ज़िन्दा रहे ) । फ़ोटो , वीडियो डालने वाले विद्वान , कलाकार भी महानता की कंचनजंगा, केटू तो हैं ही उनको कैसे भूल सकता हूँ , इनकी कृपा से ही फ़ेसबुक रंगीन है ।
--------------------------- क्रमश: ----- ( पढ़ते रहिये अगले भागों में, भागियेगा नहीं। बस मुझे भी एक लाइक, एक कमेंट )
-------------------------------- राज कुमार सचान "होरी"
Email - rajkumarsachanhori@gmail.com चलित भाष ०९९५८७८८६९९
सम्पादक - पटेल टाइम्स , राष्ट्रीय अध्यक्ष -- बदलता भारत

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