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बुधवार, 25 जून 2014

फ़ेसबुक के विद्वान (भाग-५)

                 फ़ेसबुक के विद्वान (भाग -५)
--------------------------- राज कुमार सचान "होरी"
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                  अब मेरे आम पाठक भी ४ भागों को पढ़ कर "लाइक" के "लायक" तो हो ही गये होंगे ।थोड़ी देर के लिये लाइक का मोह छोड़ कर ( वैसे यह मोह छूटेगा नहीं जब तक फ़ेसबुक है ) ,फिर भी मोह भंग ही मान लीजिये ,अब  आगे पढ़िये । क्योंकि जब सारी कोशिशों के बाद भी आपको लाइक नहीं मिलेगा तो झ़क मार कर आप करेंगे भी क्या ? बाबा जी का ठुल्लू ।
                   हसीनाओं की ६४ कलाओं से भी कई गुनी अधिक कलायें उन्हें आ ही जाती हैं जो किसी न किसी तरह के और किसी न किसी विषय के विद्वान हो जाते हैं , अगर विद्वान फ़ेसबुक वाले हैं तो यही कहूँगा ---एक तो केरला ,दूजे नीम चढ़ा ।।
                             तो नीम चढ़े विद्वानों को प्रणाम करते हुये उनकी अनुमति से भाग ५ की कथा आरम्भ करता हूँ । यहाँ पाँच हज़ारी मनसबदारों की बड़ी पूछ है । यदि आप पाँच हज़ारी नहीं बने हैं तो बार बार पोस्ट करिये कि लोग फ़्रेड रिक्वेस्ट न भेजें , वह बहुत सोच समझ कर मित्र बनाते हैं , पूरा परीक्षण करते हैं  या फिर उन्हें हल्के फुल्के मित्र पसन्द नहीं । मेरे पास पहले ही मित्रों की लम्बी प्रतीक्षा लाइन है , आप मुझे शर्मिन्दा न करें । यह सब लिखने से इन साहब के भाव बढ़ जाते हैं । फिर आप विश्वास मानिये आपके पास और लम्बी लाइन लग जायेगी । आप यह नुश्खा आज़मा कर तो देखिये , अनुभूत योग है ।
                ये वाले साहबान फ़्रेंड रिक्वेस्ट के लिये लालायित बैठे रहते हैं , मगर भाव बनाने के लिये मार्केट में अपनी स्कैर्सिटी बताते हैं फिर आप अर्थ शास्त्र का सिद्धान्त जानते ही हैं जिस चीज़ की कमी उसकी माँग बढ़ गई । तो हे मेरे मित्र!  आप भी उनकी तरह अपनी कृत्रिम कमी बना कर अपने भाव उज्ज्वल कीजिये । चलिये अपने इस क़ीमती और परीक्षित नुस्खे पर आप से न तो मैं लाइक ही माँग रहा हूँ और न ही कमेंट । मुझे पता है आप माँगने पर देंगे भी नहीं , नहीं मांगूँगा तो ढेर सारे देंगे ।
                   एक विद्वान साथी हैं नाम नहीं बताऊँगा आप को छोड़ कर ही हैं । वह जहाँ भी जाते हैं वहीं सबको फ़ेसबुक के गुण बताते हुये मित्रता का हाथ बढ़ाते हैं । अपना लैपटॉप ले कर चलते हैं और लोगों की आई डी बना कर ख़ुद को रिक्वेस्ट भेज कर ख़ुद ही एक्सेप्ट कर लेते हैं और उनका अभियान दिन दूना रात चौगुना फल फूल रहा है । मोदी और ओबामा से कम्पटीशन मानते हैं । आज कल खाना पीना सब हराम है । रात दिन बस इसी में लगे हैं । पत्नी , बच्चे सब परेशान , वे दुखी होते हैं ,परेशान होते हैं तो समझाते हैं कि बस कुछ दिनों का कष्ट है अच्छे दिन आने वाले हैं वह दुनिया के सबसे सफल व्यक्तिहोने वाले हैं ।
                              एक मेरे मित्र हैं वह यथार्थ वादी हैं और उन्हे अपने शोध पर विश्वास है । उन्होंने फेसबुक की कमज़ोर नश पकड़ ली है । वह कमाल के हैं अपनी मित्र संख्या बढ़ा रहे हैं , हमें भी राज नहीं बताते , असल में उन्हें मुझ पर विश्वास नहीं है । कहते हैं होरी जी आप मुझे अपने लेख का हिस्सा बना देंगे । चलिये आप राज जान जाइयेगा तो  मुझे भी बताइयेगा ज़रूर ।
                  जो विद्वान पाँच हज़ारी येन केन प्रकारेण बन जाते हैं तो फिर चुप नहीं बैठते हैं । लोग जानेंगे कैसे कि आप विशिष्ट क्लब के महान सदस्य हैं , इस लिये आये दिन एक पोस्ट दुख भरी , फेसबुकियों पर मल्हम  लगाती हुयी ज़रूर डालते रहते हैं कि लानत हो फ़ेसबुक पर पाँच हज़ार की सीमा बना रखी है । हम आपको मित्र कैसे बनायें , हमारे पहले ही पाँच हज़ार हैं ।  हाँ , समय समय पर बधाइयाँ लेते ज़रूर रहिये कि आप पाँच हज़ारी हैं ।
                  कुछ विद्वानों ने फ़ैन क्लब बना रखे हैं । माफ़ करियेगा फैनों ने यह कार्य नहीं किये , ख़ुद मैनों  और वूमैनों ने किये हैं ।, ख़ुद ही आपरेट करते हैं नाम दे रखे हैं फ़ैन क्लब । आप अपने लिये न समझें , आप के तो सही में फ़ैन हैं और वास्तविक क्लब भी हैं । लेकिन बात सोलहों आने सच है औरों के लिये । आप का क्या विचार है श्रीमन् , बना डालिये न एक ठोर आप भी । बस सावधानी बताये देता हूँ अपनी फ़ेसबुक आई डी से न बनाइयेगा । आप तो वैसे भी समझदार हैं -- यह बचकानी गल्ती नहीं करेंगे ।
                     पाँच हज़ारी एक नुश्खा अपनाते हैं ,जब आप पाँच हज़ारी हो जाँय तो अपनाइयेगा ज़रूर ,अभी से नोट कर लीजिये । अपने नाम का एक पेज बनाइये और उस को लाँच करते हुये फूट फूट कर करुण रस में रोइये कि हे मेरे फ़ेसबुक के राहगीरो तुम्हें अपने साथ लेने के लिये ऐसा किया है , ताकि आप न मित्र सही तो जुड़ तो जायेंगे मित्र की तरह ( बीच बीच में फ़ेसबुक को कोशिये कि उसने ५ हज़ार की सीमा क्यों बनायी ) । अब आपके दोनों हाथों में लड्डू । आप का पेज भी चल निकलेगा । आप कितने कलाकार हैं   बस चमत्कार पैदा करिये आप का पेज दौड़ पड़ेगा ।
        आगे ;  पेजों को दौड़ाने के नायाब नुस्खे हैं पढ़ते रहिये --------- फ़ेसबुक के विद्वान ।
          ---------------------------क्रमश: ----- ( हाँ, हमारे पेज पर लाइक का बटन न दबाइयेगा, फिर वही लाइक , " सारी" )
---------------------------------राज कुमार सचान " होरी"
Email -- rajkumarsachanhori@gmail.com चलित भाष 9958788699
प्रधान सम्पादक -- पटेल टाइम्स । राष्ट्रीय अध्यक्ष - बदलता भारत

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