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शनिवार, 28 मई 2016
गुरुवार, 12 मई 2016
Hori KAHIN
होरी कहिन
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१--
राजनीति के व्यूह में , फँसा राष्ट्र अभिमन्यु ।
नेता दुर्योधन सदृश , करें अनीति जघन्य ।।
करें अनीति जघन्य , महाभारत रचते हैं ।
युद्धों में बस काग,गिद्ध ,निशिचर बचते हैं।।
होरी अब तो बन्द करो , ओछा अनीति ।
नहीं, ग़ुलामी आ जाये , इस राजनीति ।।
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२--
एकत्रित होने लगे , कालोनी के चोर ।
आपस में मिल बाँट कर, खायें करते शोर ।।
खायें करते शोर , सभी मौसेरे भाई ।
ख़ुश हैं मोटी मोटी पा , घनघोर कमाई ।।
साहूकार अकेले होकर, दिखते हैं असहाय ।
चोर तिजोरी लूट कर ,गये सभी कुछ खाय।।
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३--
उत भी जंगल राज है , इत भी जंगल राज ।
होरी दिन कैसे कहो , जनता देखे आज ।।
जनता देखे आज , दुशासन सीना जोरी ।
टूट गई है आज , सुशासन वाली डोरी ।।
ख़ुश हैं चारों ओर ,भेड़िये ,चीते आज ।
होरी फैला देश में , देखो जंगल राज ।।
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राज कुमार सचान होरी
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सोमवार, 9 मई 2016
शुक्रवार, 6 मई 2016
Hori KAHIN
होरी कहिन
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रिश्वत देना सिद्ध है , लेना सिद्ध न होय ।
हाय ,अगस्ता कर रहे , भारत में हर कोय।।
भारत में हर कोय , ढूँढता लेने वाला ।
लेने वाले ख़ुश हैं , दुखिया देने वाला ।।
होरी बोलो गर्व से , हम हैं भारत ।
नहीं डकार भी लें हम ,खाकर रिश्वत ।।
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राजकुमार सचान होरी
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सोमवार, 2 मई 2016
Hori Kahin
होरी कहिन
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१--
होरी लघु तो थामिये , बड़े न दीजै डार ।
वहाँ करेगी क्या सुई, जहाँ काम तलवार ।।
जहाँ काम तलवार , वहाँ नाकाम सुई हों ।
किन युद्धों में सुइयाँ ,लडने कहो गई हों ।।
लघु के साथ बड़ों से नाता ,बहुत ज़रूरी ।
तभी मिलेगी तुम्हें सफलता ,भाई होरी ।।
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२--
दिल्ली में तुग़लक़ हुये,दिल्ली का सौभाग्य ।
बाक़ी क्षेत्र दुखी हुये , रोते हैं दुर्भाग्य ।।
रोते हैं दुर्भाग्य, मनायें , आयें तुग़लक़ ।
ख़ुश ख़ुश हैं पंजाब क्षेत्र के ,सारे उजबक ।।
मफ़लर राजा ख़ुश ही रहते,भले उड़ाओ खिल्ली ।
होरी इसको कहते हैं , दिल वालों की दिल्ली ।।
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३--
कारों की बिक्री बढ़ी ,आड इवेन के फेर ।
दिल्ली सारी पट गई , विज्ञापन के ढेर ।।
विज्ञापन के ढेर , 'आप' के द्वारे द्वारे ।
दिल्ली वाले फिरते हैं बस , मारे मारे ।।
वायु प्रदूषण , विज्ञापन का ,बढ़ा प्रदूषण ।
होरी दिल्ली वालों का तो , अब भी शोषण ।।
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राजकुमार सचान होरी
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