---------- Forwarded message ----------
From: <919984708227@mms1.live.vodafone.in>
Date: 2011/7/27
Subject:
To: horisardarpatel@gmail.com
कूर्मि समाज के संगठन का निर्माण गुलाम भारत मेँ कांग्रेस की स्थापना के लगभग कुछ ही समय बाद हुआ फिर भी हमरी पहचान समय के साथ निखरने के बजाय धूमिल होती गयी जिसके शायद यही प्रमुख कारण थे ?
1-एक तो हमने कृषि को अपना प्रमुख व्यवसाय बनाया जिसकी वजह से हम ...जमीन,जन,जानवर
के पीछे हो गये और उपरोक्त के तुलनात्मक हम स्वंय भू हो गये जिससे हमारे अन्दर अहं का भी प्रार्दुभाव हो गया चूँकि साधारण गाँव के जीवन की आवश्यकता खेतोँ से पूरी हो जाती थी ।
2- लोकतन्त्र की हत्या कर सरदार पटेल को प्रधानमंत्री न बनने देना और उस पर इस समाज का मौन ब्रत यह हमारी वर्तमान राजनीतिक परिस्थति के लिये भी बहुत उत्तरदायी है ।
3-यह कि हमने किसी को आदर्श बनाकर ,निज स्वार्थो से ऊपर उठकर समाज हित मेँ राष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता दिखा पाने मेँ पूर्ण रुप से असफल ही रहेँ है बस क्षेत्रीय स्तर पर टिटहरी यत्न करते आये हैँ ।
4-समाज की रुचि भी एक प्रमुख कारण था कि हम जीवन भर कवि,पत्रकार ,लेखक,राजनेता या तो बनेँ नही या फिर चाहे नहीँ ।
5-नाम के क्षत्रिय पर कर्म से सदा ही कायर व डरपोँक । उफ!कैसी विडम्बना है ।
॰सत्येन्द्र पटेल(फते॰)
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Date: 2011/7/27
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कूर्मि समाज के संगठन का निर्माण गुलाम भारत मेँ कांग्रेस की स्थापना के लगभग कुछ ही समय बाद हुआ फिर भी हमरी पहचान समय के साथ निखरने के बजाय धूमिल होती गयी जिसके शायद यही प्रमुख कारण थे ?
1-एक तो हमने कृषि को अपना प्रमुख व्यवसाय बनाया जिसकी वजह से हम ...जमीन,जन,जानवर
के पीछे हो गये और उपरोक्त के तुलनात्मक हम स्वंय भू हो गये जिससे हमारे अन्दर अहं का भी प्रार्दुभाव हो गया चूँकि साधारण गाँव के जीवन की आवश्यकता खेतोँ से पूरी हो जाती थी ।
2- लोकतन्त्र की हत्या कर सरदार पटेल को प्रधानमंत्री न बनने देना और उस पर इस समाज का मौन ब्रत यह हमारी वर्तमान राजनीतिक परिस्थति के लिये भी बहुत उत्तरदायी है ।
3-यह कि हमने किसी को आदर्श बनाकर ,निज स्वार्थो से ऊपर उठकर समाज हित मेँ राष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता दिखा पाने मेँ पूर्ण रुप से असफल ही रहेँ है बस क्षेत्रीय स्तर पर टिटहरी यत्न करते आये हैँ ।
4-समाज की रुचि भी एक प्रमुख कारण था कि हम जीवन भर कवि,पत्रकार ,लेखक,राजनेता या तो बनेँ नही या फिर चाहे नहीँ ।
5-नाम के क्षत्रिय पर कर्म से सदा ही कायर व डरपोँक । उफ!कैसी विडम्बना है ।
॰सत्येन्द्र पटेल(फते॰)
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