श्री अशोक पटेल पुत्र श्री सत्यपाल सिंह ४५१ सिविल लाईन उन्नाव को 'अखिल भारतीय कूर्मि क्षत्रिय महा संघ ' द्वारा 'उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश ' नियुक्त किया गया | यह नियुक्ति संघ के अग्रिम चुनाव त़क मान्य होगी | श्री पटेल का मोब नंबर है ......09307464534
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रविवार, 31 जुलाई 2011
शनिवार, 30 जुलाई 2011
FACE BOOK KE FACE( part 3)[HORI KHADA BAZAR MEN ]
[व्यंग्य ] फेसबुक के फेस[भाग ३] {होरी खडा बज़ार में}
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'होरी' को बज़ार में आगे चौराहे के पास कोतवाली से आते हुए कटियार साहब टकरा गए |नयी पीढ़ी के यही कोई ३० वर्ष के रहे होंगे | दो बच्चों के पिता पर फेसबुक के दीवाने |इन्टरनेट के मास्टर| मैं पूछ बैठा 'क्या हाल है ?'
यह बताते चलें कि कटियार नयी पीढ़ी के सोसल नेटवर्किंग के जबरदस्त समर्थक थे | स्पेस्लिस्ट थे | इतने लाभ गिनाते कि सुनने वाले इनके फेसबुक फ्रेंड्स हो जाते| अनेक देशों में फैले इन्तेर्नेतीय दोस्त | यहाँ दोस्ती के लिए मिलना आवश्यक नहीं | बिना मिले दोस्ती |चैटिंग चैटिंग में दोस्ती के गुरु थे कटियार |
आज कुछ , चेहरा लटका हुआ था |फेस की चमक दमक गायब | मेरे प्रश्न का कोई उत्तर नहीं |मुझे मजाक सूझी ...'फेसबुक में कोई नयी इंट्री हुयी क्या , कटियार साहब ?
अब कटियार के अन्दर का घड़ा फूट गया| बोले ...'होरी , आपको फेसबुक की इंट्री की पड़ी है , मेरे जीवन की इंट्री बिगड़ी जा रही है | कोतवाली के फैमिली कौन्सिलिंग सेंटर से आ रहा हूँ |यह मेरी पत्नी है , मुस्किल से मानी है , तलाक से नीचे बात ही नहीं कर रही थी |कहती थी की घर में फेसबुक रहेगी या वह फैसला करलो|
पत्नी को लेकर , फेसबुक को थानें में ही छोड़ कर आ रहा हूँ | फिर मुझे एक किनारे ले जाकर धीरे से कान में बोले ...'होरी जी , बच्चों और पत्नी की नज़रों में मेरा फेस गन्दा हो चुका है | ' मैं भी धीरे से बोला ' आखिर हुआ क्या ?' वह एक ठंडी और लम्बी सांस खींच कर धीरे धीरे बोले...' मेरी फेसबुक की वाल बार , बार कोई गन्दी कर देती थी, वह फेस बुक की वाल को दीवाल समझ कर काला पोत देती | मैं साफ़ करता तब तक फिर पोत देती | इधर मैं व्हाईट करता , उधर वह ब्लैक कर देती | मुझे भी इस रंगाई , पुताई में मज़ा आ रहा था , पर एक दिन मेरे बच्चों ने पकड़ लिया , फिर क्या माँ को बता दिया|
घर में कोहराम मच गया | पत्नी बोली यही तुम्हारा असली फेस है ? तभी हमेशा फेसबुक में गड़े रहते थे | मैं जा रही हूँ , तुम उसी से शादी करलो | मामला फैमिली कोर्ट से बचा है | आज कई महीनों का झगडा थमा है | फेसबुक से भाग कर फेस नीचे किये हुए कटियार साहब मेरे कान में बोले ...अब पत्नी को घर में , फेसबुक को आफिस में |
'होरी' सोच सोच कर परेशान था पत्नी ,परिवार चाहे जाये फेसबुक न जाए | क्या बाला है फेसबुक !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!![क्रमशः]
राज कुमार सचान 'होरी'
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From: sardar patel <horisardarpatel@gmail.com>
Date: 2011/7/30
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Date: 2011/7/26
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अखिल भारतीय कूर्मि क्षत्रिय महासंघ की स्थापना एक अवसर है हमारी उस गलतफ़हमी को दूर करने के लिये जो हम सदियोँ से पाले हुये हैँ ।और जिससे हमारा समाज निरन्तर उपेक्षित होकर भुगत रहा है ।
(कविता)
कितना सुन्दर,अद्भुत भी
ये नव सृजित विचार,
पिछड़े हैँ हम सदियोँ से
दर्द है अपरम्पार ।
खाना बदोसी ये जीवन
लगता है बेकार ,
स्वार्थ,अहं से ऊपर उठना
यही एक उपचार ।
स्व समाज एकजुट करना
है कर्म का मेरे हिस्सा ,
ना समाज एकजुट होगा
झूठा होगा किस्सा ।
बदलेगी तस्वीर हमारी
इतना है विश्वास ,
शेष धरा के जीवन तक
बँधी रहेगी आस ।
जाग्रत कर इस समाज को
सम्मानित करवाना ,
करता हूँ आह्वाहन मैँ मत समझो बेगाना ।।
--सत्येन्द्र पटेल
bpv2007ssp@gmail.com
From: <919984708227@mms1.live.vodafone.in>
Date: 2011/7/26
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अखिल भारतीय कूर्मि क्षत्रिय महासंघ की स्थापना एक अवसर है हमारी उस गलतफ़हमी को दूर करने के लिये जो हम सदियोँ से पाले हुये हैँ ।और जिससे हमारा समाज निरन्तर उपेक्षित होकर भुगत रहा है ।
(कविता)
कितना सुन्दर,अद्भुत भी
ये नव सृजित विचार,
पिछड़े हैँ हम सदियोँ से
दर्द है अपरम्पार ।
खाना बदोसी ये जीवन
लगता है बेकार ,
स्वार्थ,अहं से ऊपर उठना
यही एक उपचार ।
स्व समाज एकजुट करना
है कर्म का मेरे हिस्सा ,
ना समाज एकजुट होगा
झूठा होगा किस्सा ।
बदलेगी तस्वीर हमारी
इतना है विश्वास ,
शेष धरा के जीवन तक
बँधी रहेगी आस ।
जाग्रत कर इस समाज को
सम्मानित करवाना ,
करता हूँ आह्वाहन मैँ मत समझो बेगाना ।।
--सत्येन्द्र पटेल
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Date: 2011/7/27
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कूर्मि समाज के संगठन का निर्माण गुलाम भारत मेँ कांग्रेस की स्थापना के लगभग कुछ ही समय बाद हुआ फिर भी हमरी पहचान समय के साथ निखरने के बजाय धूमिल होती गयी जिसके शायद यही प्रमुख कारण थे ?
1-एक तो हमने कृषि को अपना प्रमुख व्यवसाय बनाया जिसकी वजह से हम ...जमीन,जन,जानवर
के पीछे हो गये और उपरोक्त के तुलनात्मक हम स्वंय भू हो गये जिससे हमारे अन्दर अहं का भी प्रार्दुभाव हो गया चूँकि साधारण गाँव के जीवन की आवश्यकता खेतोँ से पूरी हो जाती थी ।
2- लोकतन्त्र की हत्या कर सरदार पटेल को प्रधानमंत्री न बनने देना और उस पर इस समाज का मौन ब्रत यह हमारी वर्तमान राजनीतिक परिस्थति के लिये भी बहुत उत्तरदायी है ।
3-यह कि हमने किसी को आदर्श बनाकर ,निज स्वार्थो से ऊपर उठकर समाज हित मेँ राष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता दिखा पाने मेँ पूर्ण रुप से असफल ही रहेँ है बस क्षेत्रीय स्तर पर टिटहरी यत्न करते आये हैँ ।
4-समाज की रुचि भी एक प्रमुख कारण था कि हम जीवन भर कवि,पत्रकार ,लेखक,राजनेता या तो बनेँ नही या फिर चाहे नहीँ ।
5-नाम के क्षत्रिय पर कर्म से सदा ही कायर व डरपोँक । उफ!कैसी विडम्बना है ।
॰सत्येन्द्र पटेल(फते॰)
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Date: 2011/7/27
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कूर्मि समाज के संगठन का निर्माण गुलाम भारत मेँ कांग्रेस की स्थापना के लगभग कुछ ही समय बाद हुआ फिर भी हमरी पहचान समय के साथ निखरने के बजाय धूमिल होती गयी जिसके शायद यही प्रमुख कारण थे ?
1-एक तो हमने कृषि को अपना प्रमुख व्यवसाय बनाया जिसकी वजह से हम ...जमीन,जन,जानवर
के पीछे हो गये और उपरोक्त के तुलनात्मक हम स्वंय भू हो गये जिससे हमारे अन्दर अहं का भी प्रार्दुभाव हो गया चूँकि साधारण गाँव के जीवन की आवश्यकता खेतोँ से पूरी हो जाती थी ।
2- लोकतन्त्र की हत्या कर सरदार पटेल को प्रधानमंत्री न बनने देना और उस पर इस समाज का मौन ब्रत यह हमारी वर्तमान राजनीतिक परिस्थति के लिये भी बहुत उत्तरदायी है ।
3-यह कि हमने किसी को आदर्श बनाकर ,निज स्वार्थो से ऊपर उठकर समाज हित मेँ राष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता दिखा पाने मेँ पूर्ण रुप से असफल ही रहेँ है बस क्षेत्रीय स्तर पर टिटहरी यत्न करते आये हैँ ।
4-समाज की रुचि भी एक प्रमुख कारण था कि हम जीवन भर कवि,पत्रकार ,लेखक,राजनेता या तो बनेँ नही या फिर चाहे नहीँ ।
5-नाम के क्षत्रिय पर कर्म से सदा ही कायर व डरपोँक । उफ!कैसी विडम्बना है ।
॰सत्येन्द्र पटेल(फते॰)
शुक्रवार, 29 जुलाई 2011
OM NAMAH SHIVAY [HORI KAVYA SAAGAR SE ]
ओम नमः शिवाय [होरी काव्य सागर से ]
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देश में बढ़ती जाती दिनदिन, हिजड़ों की नव टोली |
हाव भाव हम उनके सीखे , सीख गए हैं , बोली ||
गंभीर समस्याओं के हल में , बजा रहे हैं ताली,
और उन्हीं की भाँति निकालें ..मुख से 'आय हाय' ||
ओम नमः शिवाय , ओम नमः शिवाय ||
*********************************************************
कभी गरीबी , कभी अशिक्षा , कभी धर्म की आड़ |
जनसँख्या के हम नित , नित , करते खड़े पहाड़ ||
भगवान की देन हैं बच्चे, कह पुनः शुरू हो जाते ,
बच्चे जनने की मशीन को, निश दिन रहे चलाय ||
ओम नमः शिवाय , ओम नमः शिवाय ||
**********************************************************
आँखों में पट्टी क्यों बाँधे , न्याय्कारिणी देवी ?
आँख की अंधी , गाँठ की पूरी , न्याय्धारिणी देवी ||
मनुज न्याय है मत्स्य न्याय क्यों बनता जाता दिन दिन?
चौराहों पर चर्चा क्यों है ? आज बिक रहा न्याय ||
ओम नमः शिवाय , ओम नमः शिवाय ||
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कहीं कसाब , कहीं पर अफज़ल, मिलते कहीं सईद |
भष्मासुर आतंकी करते मिट्टी , हिंद पलीद ||
पर भारत में जमें शिखंडी , युद्ध करें क्या खाक ,
अब आतंकवाद में हे शिव , तुम ही होउ सहाय ||
ओम नमः शिवाय , ओम नमः शिवाय
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राज कुमार सचान 'होरी'
गुरुवार, 28 जुलाई 2011
PATEL TIMES: FACE BOOK KE FACE( part 2)[HORI KHADA BAZAR MEN ]
PATEL TIMES: FACE BOOK KE FACE( part 2)[HORI KHADA BAZAR MEN ]: " {व्यंग्य} फेस बुक के फेस(भाग २) ....[होरी खड़ा बाज़ार में ] ************************************************..."
FACE BOOK KE FACE( part 2)[HORI KHADA BAZAR MEN ]
{व्यंग्य} फेस बुक के फेस(भाग २) ....[होरी खड़ा बाज़ार में ]
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आदरणीय मिश्र जी को फेस लटकाए सब्जी मण्डी में छोड़ 'होरी' आगे बढ़ गया |तभी जैसे ही आगे बढ़ा , और बाज़ार में लेडिस /जेंट्स ब्यूटी पार्लर ,बाडी बिल्डिंग की मार्केट आरंभ हुयी , एक जेंट्स पार्लर में मसाज कराते और एक सामने के लेडिस ब्यूटी पार्लर में किसी को रस भरी आँखों से घूरते , ताकते , एक चिर युवा , मर्दानगी से भरपूर परम श्रधेय श्री हरिपाल सिंह जी दिखाई दिए | यही कोई ८६ वर्ष के | पूरे जवान | तन ,मन, दिल ,दिमाग से पूरे मेंटेन |
मैंने सोचा बात करलूं | पहले तो पहचान ही नहीं आये , बालों में खिजाब , दाढ़ी में खिजाब के साथ साथ मूंछें साफ़ | भौहों , बरौनियों में भी खिजाब | मैं भी यह मनोहारी रूप देख मंद , मंद मुश्काया फिर पूछ बैठा ...'माज़रा क्या है ? सब खैरियत तो है ? यह श्रंगार रसराज आप पर सवार ??!!आप का यह हाल किसने बनाया ?वह कौन खुशनसीब है जिसने वीर रस के कवि को श्रंगार में आकंठ डुबोया ? मैं भी तो जानूं |वह चौसंठ कलाओं में मुश्कराए , सोलहों श्रंगार की भंगिमा बनाते हुए बोले ...'सब फेस बुक का कमाल है , इन्टरनेट का जादू है |
'होरी' आपने ही कहा था ...क्या कम्पूटर में ताश की पत्ती खेलते रहते हो , इन्टरनेट में जाओ ,फेसबुक में आओ | दुनिया कहाँ से कहाँ चली गयी और आप ताश खेल रहे हैं !!!!! [क्रमशः]
मंगलवार, 26 जुलाई 2011
question and answer
OUR ONE RESPECTED READER SHRI ASHOK WARMA FROM USA HAS ASKED FOR A LIST OF COMMUNITY MEMBERS IN USA .
WE WILL PREPARE IT SOON . ALL READERS ABROAD ARE REQUESTED TO COOPERATE US IN PREPARING SUCH LIST . SEND DETAILS IN GIVEN FORMAT...........
[1] NAME
[2]NAME OF FATHER OR HUSBAND
[3] ADDRESSES PRESENT AND IN INDIA
[4] YOUR NATIVE VILLAGE , CITY ,DISTT AND STATE IN INDIA
[5] FAMILY MEMBERS QUOTING AGE AND STATUS OF MARRIAGE
[6] CONTACT NOS , EID ETC
[7] ANY OTHER INFORMATION
send these through our eid ......
horisardarpatel@gmail.com
WE WILL PREPARE IT SOON . ALL READERS ABROAD ARE REQUESTED TO COOPERATE US IN PREPARING SUCH LIST . SEND DETAILS IN GIVEN FORMAT...........
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[3] ADDRESSES PRESENT AND IN INDIA
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kripya dhyan den
भाईयो और बहनों !
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आप जागरूक पाठक और समाज के हितचिन्तक हैं |आप अपने आसपास समाज की जरूरी घटनाओं के समाचार बना कर, दी हुयी ई मेल पर भेजें | अपनी तथा अपने परिवार की उपलब्धियों को भी लिख कर भेजें |विवाह योग्य लड़के , लड़कियों के विवरण भी भेजें , सभी प्रकाशित किये जायेंगे |
यदि आप लेखक , कवि या पत्रकार हैं तो विवरण भेजें ....एक पुस्तिका का प्रकाशन किया जायेगा |
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