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From: indiachanges2013 <indiachanges2013@gmail.com>
Date: 19 February 2013 9:29:25 PM GMT+05:30
To: Rajkumar sachan <horirajkumar@gmail.com>
Cc: "indiachanges2012@gmail.com" <indiachanges2012@gmail.com>
Subject: Re: 3/ जनसंख्या नियंत्रण
rajkumarsachanhori@facebook.com
On Wednesday, January 2, 2013, Rajkumar sachan wrote:3/ जनसंख्या नियंत्रण
हमारे देश की जनसंख्या 1901 की जनगणना के अनुसार लगभग 23 करोड़ 80 लाख थी जिसमें वर्तमान पाकिस्तान और बांग्लादेश के भूभाग भी सम्मिलित थे । 2011 की जनगणना के आधार पर भारत वर्ष की जनसंख्या ही एक सौ पच्चीस करोड़ से अधिक है जो पाँच गुना से अधिक है जिसमें वर्तमान पाकिस्तान और बांग्लादेश की जन संख्या सम्मिलित नहीं है । भारत के वर्तमान भूभाग की तुलनात्मक जनसंख्या वृद्धि तो 7 गुना से भी अधिक होगी ।
भारतवर्ष ने स्वतंत्रता के बाद बहुत प्रगति की परन्तु सम्पूर्ण प्रगति जनसंख्या रूपी सुरसा के मुँह में समा गई । जहाँ सकल आय बढ़ी वहीं प्रति व्यक्ति आय में हम पूरे विश्व में पायदान पर हैं । ऐसा क्यों ? उत्तर एकदम स्पष्ट है भारी जनसंख्या वृद्धि । जनसंख्या वृद्ध विकास की नंबर एक शत्रु है ।
जनसंख्या वृद्धि जहाँ विकास की परम दुश्मन है वहीं यह अपराधों की जननी है । एक ऐसा वर्ग विकसित हो जाता है जिसको कोई काम न मिलने पर अपराध की ओर मुड़ जाता है ।उस वर्ग की शिक्षा दीक्षा कम रहती है, अभाव में बचपन बीतता है और वे दूसरों को सुखी संपन्न देखते हैं तभी उनके मन में बदले की भावना , ईर्श्या, विद्वेष तथा भांतिभांति के अपराध पनपने लगते हैं । आज पूरे देश में यही भयानक स्थिति हो रही है बलात्कार , हत्याओं आदि जघन्य अपराधों में दुनियाँ में सर्व श्रेष्ठ । जनसंख्या अधिक होने के कारण अपराधियों की भारी संख्या के सामने पुलिस बल अत्यन्त कम पड़ जाता है और असहाय नज़र आता है ।
माँग और पूर्ति में भारी अंतर से अभाव जन्म लेता है तो अभावों को दूर करने के लिये भी एक बहुत बड़ा वर्ग रिश्वत देने के लिये तैयार रहता है तो दूसरा वर्ग इसका लाभ उठा कर भ्रष्टाचार शुरू कर देता है । भारी जनसंख्या के कारण ही एक ऐसा वर्ग तैयार हो जाता है जो क़ानूनों से ऊपर उठ कर सारे संसाधनों पर कब्जा करने लगता है।
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