यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते , रमन्ते तत्र देवताः के देश में आज चारों ओर नारियों का घोर अपमान हो रहा है /नारियों के प्रति अपराध लगातार बढ़ रहे हैं / नारियों को हमने भोज्य पदार्थ बना डाला है / भौतिकवादी सोच और सभ्यता ने पुरुष ने नारियों को उपभोग की वस्तू बना कर रख दिया है / दुनिया में हमारा शिर शर्म से झुक चुका है /
अब शिर के ऊपर से पानी निकल चूका है / आईये कुछ उपाय कर डालें इसके पहले बहुत देर हो जाय / त्वरित न्याय अदालते स्थापित करते हुए इस प्रकार के अपराधों के लिए मृत्यु दंड दें और क़ानून में आयसा प्राविधान हो की सजा सार्वजनिक स्थल पर दी जाय जिससे अपराधी डरें /
India changes supports public to change India
अब शिर के ऊपर से पानी निकल चूका है / आईये कुछ उपाय कर डालें इसके पहले बहुत देर हो जाय / त्वरित न्याय अदालते स्थापित करते हुए इस प्रकार के अपराधों के लिए मृत्यु दंड दें और क़ानून में आयसा प्राविधान हो की सजा सार्वजनिक स्थल पर दी जाय जिससे अपराधी डरें /
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क़ानून सख्त हों , अनुपालन बिना लागलपेट के हो ।
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