गांव , गली ,खलिहान
(1) राजनीति करते नहीं , पड़े हुए हैं खेत|
'होरी' सत्ता सुख सभी , राजनीति ही देत ||
(२)नहीं नौकरी कर रहे, और न ही व्यवसाय ||
वे नेतागीरी करें , और न कोयि उपाय ||
(३) सौ में हैं निन्यानवे , गाँव ,गली , खलिहान |
'होरी' कुर्मी का कहो , हो कैसे उत्थान ||
(४) औरों से डरते रहे , पर आपस में युद्ध |
दुखी शिवा , सरदार सब , और दुखी हैं बुद्ध ||
(5) कुर्मी गांवों में रहे , शहरों से अति दूर |
भाग्य भरोसे बैठ कर , कुर्मी अति मजबूर ||
(६) टीक , बांस खेती करें , छोड़ें गेहूं धान |
'होरी' धन दौलत मिले , आगे बढ़ें सचान ||
राज कुमार सचान 'होरी'
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