1 /नरेगा को कृषि से पूर्ण रूप से जोड़ना
गत तीन वर्षों में नरेगा में काम कम हो जाने के कारण भारत सरकार और प्रदेश सरकारों से इस योजना में धन आवंटन लगातार कम होता जा रहा है । इससे नरेगा योजना के सामने ही गंभीर संकट खड़ा हो गया है । नरेगा के अंतर्गत आने वाले कार्यों की संख्या घटते जाने के कारण जहाँ एक ओर काम कम मिल रहे हैं वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार तेज़ी से बढ रहा है। काम कम होते जाने के कारण जहाँ एक ओर ईमानदार प्रधान और अधिकारी व कर्मचारी नरेगा से दूर भाग रहे हैं वहीं बेइमान अधिकारी,कर्मचारी व प्रधान भ्रष्टाचार में आकंठ डूब गये हैं ।
एक ओर तो मज़दूर और मज़दूरी के सामने गंभीर संकट तो दूसरी ओर किसान परेशान । नरेगा के बाद से गाँवों में मज़दूरी की दरों में व्रद्धि होने से किसानों को खेती में लागत अधिक लगानी पड रही है और मज़दूर भी समय से नहीं मिल पा रहे हैं। धीरे धीरे जो किसान खाद बीज पानी दवाओं की बढ़ती कीमतों से पहले ही परेशान था , मज़दूरी में व्रद्धि से और टूटने लगा । पूरे देश में लघु और सीमांत (छोटे किसान ) किसान तो बड़ी संख्या में खेती ही छोड़ने लगे ।। आज देश में अज़ीब स्थिति है मज़दूर और किसान दोनों बेहद परेशान ।
इंडिया चेंज़ेज़ ( India Changes ) ने अपनें राष्ट्रीय संयोज़क प्रसिद्ध साहित्यकार और समाजसेवी श्री राज कुमार सचान 'होरी' के प्रशासनिक और सामाजिक अनुभवों के आधार पर निष्कर्ष निकाला कि उक्त दोनों गंभीर समस्यायों का एकमात्र हल है ...........
"नरेगा का कृषि से पूर्ण सम्बद्धीकरण ।"
इसे गहराई से समझना आवश्यक है ... खेती का कोई भी कार्य हो कृषि,उद्या़न अथवा वानिकी(forestry) या खेती से संबंधित अन्य कार्य जो उत्पादन से जुड़े हों में मज़दूर नरेगा से दिये जाँय और उनकी मज़दूरी किसान के बजा़य नरेगा योजना से मिले । इस प्रकार किसानों को मज़दूर बिना किसी लागत के साल भर लगातार उपलब्ध होंगे जिससे उसकी फसलों की लागत कम होगी और खेती घाटे के स्थान पर लाभकारी बन सकेगी ।किसान मज़दूर और मज़दूरी से मुक्त होकर पूरा ध्यान खेती में लगा सकेगा । कृषि उत्पादन भी निश्चित रूप से बढ़ेगा ।देश में खाद्यान्न का आसन्न संकट भी टल जायेगा । कृषि उत्पादन में लागत कम होने से खाद्यानों की कीमत में भी कमी आयेगी जिससे आम उपभोक्ता को फ़ायदा होगा ।
कृषि सदियों से चले आने वाला व्यवसाय है जो भविष्य में भी चलता रहेगा , इसलिये इससे पूर्ण सम्बद्ध होने पर नरेगा योजना को भी सदैव जीवित रखा जा सकेगा । मज़दूर को काम पहले से बहुत अधिक मात्रा में लगातार मिलता रहेगा । यहाँ यह शर्त है कि किसान में लघु , सीमांत और बड़े सभी सम्मिलित हों तभी इसका पूर्ण अर्थ भी है ।
देश के ७० प्रतिशत किसान और ग्रामीण मज़दूर दोनों एक साथ खुशहाल होंगे और एक और लाभ साथ ही साथ होगा ़़़़गांवों में किसान-मज़दूर के मध्य भाईचारा बढ़ेगा जो नरेगा के लागू होने के बाद से सबसे निम्न स्तर पर पहुँच गया है ।
आइए हम मिल कर इसे सम्पूर्ण देश में लागू करायें । देश विशेषकर ग्रामीण विकास के लिये ।
@ INDIA CHANGES
eid .... indiachanges2012@gmail.com & indiachanges2013@gmail.com & horiindiachanges @gmail.com & web: indiachanges.com
Sent from my iPad
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें